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योगगुरु बाबा रामदेव ने समलैंगिकता को एक मानसिक समस्या बताया है, जिसे योग से दूर किया जा सकता है.
द क्विंट ने अंडरकवर रहकर इस बात की सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की कि पतंजलि केंद्रों में किस तरह समलैंगिकता का इलाज किया जाता है.
इस आॅपरेशन में हम दिल्ली के 3 पतंजलि केंद्रों में समलैंगिक बनकर पहुंचे और मामले की पड़ताल की.
हम पहले पहुंचे नोएडा सेक्टर 26 के पतंजलि चिकित्सालय, जहां हमारी मुलाकात डाॅ. ज्ञानेंद्र कुमार (बैचलर आॅफ आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी, बीएएमएस) से हुई. ज्ञानेंद्र के अनुसार समलैंगिकता एक मानसिक रोग है, जिसे बाबा रामदेव के प्रवचन सुनकर दूर किया जा सकता है.
डाॅ. कुमार ने चलते- चलते 800 रुपये की दवाइयों के साथ “उस तरह के लोगों (होमोसेक्सुअल) से बचने” की सलाह भी दे डाली.
अगले पड़ाव पर हम पहुंचे नोएडा सेक्टर 62 के पतंजलि चिकित्सालय, जहां हम मिले डॉ. रजत से जो एक सर्टिफाइड बीएएमएस डाॅक्टर हैं.
उनके अनुसार समलैंगिकता कोई रोग नहीं है, लेकिन यह हमारे समाज में मान्य नहीं है. इसलिए यदि कोई बंदा गे हो, तो उसे समाज में ढलने के लिए बदलना होगा.
डाॅ. रजत ने हमें बताया कि उनके एक और मरीज के साथ भी यही समस्या थी, लेकिन उस पर पतंजलि का इलाज काम कर रहा है. हमें डाॅ. रजत से मिली 1200 रुपये की दवाइयाें की लिस्ट, जिनमें एनर्जी टाॅनिक्स तक शामिल हैं.
हममें से एक लेस्बियन बनी और हम पहुंचे कनाॅट प्लेस वाले पतंजलि चिकित्सालय पर. हमें ये देखकर हैरानी हुई कि यह क्लीनिक एक दुकान में अंदर बना था.
डाॅ. योगेश कुमार ने हमें बताया कि समलैंगिकता एक हार्मोनल दिक्कत है. लगे हाथ उन्होंने प्रोजेस्ट्रॉन लेवल के टेस्ट की मांग भी कर दी, जिसके बाद इलाज शुरू करने की बात कही.
द क्विंट ने पतंजलि आयुर्वेद सेंटर के प्रवक्ता एसके तिजरावाला से प्रतिक्रिया मांगी, जिसमें उन्होंने कहा कि वो अपने डाॅक्टरों के साथ हैं. तिजरावाला के मुताबिक वास्तव में समलैंगिकता अप्राकृतिक है और ये एक मानसिक रोग है.
हमने दूसरे आयुर्वेदिक डाॅक्टरों से पतंजलि की दवाइयों के बारे में पूछताछ की. हमने पाया कि ज्यादातर दवाइयां एनर्जी टाॅनिक थे और बाकी बचे शरीर साफ करने वाले. लेकिन ये बात समझ नहीं आई कि आखिर ये सब समलैंगिकता से कैसे संबंधित है ?
कुछ आयुर्वेद के डॉक्टरों के मुताबिक प्राचीन साहित्य में समलैंगिकता के कोई प्रमाण नहीं हैं.
यहां तक की बीएएमएस की किताबों में भी होमोसेक्सुअलिटी का जिक्र नहीं मिलता.
वहीं आयुष मंत्रालय ने अभी भी इस संबंध में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि पतंजलि लोगों को बेवकूफ बना रही हो.
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