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वीडियो एडिटर- विशाल कुमार
बालाकोट के समय पाकिस्तान जिस AMRAAM AIM-120 मिसाइल के दम पर फुदक रहा था, अब हमारे पास उसका भी तोड़ है. जो 500 SU-27 फाइटर जेट चीन की वायुसेना के बैकबोन हैं, हमने उसका भी जवाब ढूंढ लिया है. राफेल (Rafale) विमान अब औपचारिक तौर पर भारतीय वायुेसना में शामिल हो गए हैं. इस कार्यक्रम में अंबाला वायुसेना स्टेशन पर राफेल विमान की सर्व धर्म पूजा की गई
जिन पहाड़ी इलाकों में चीन और पाकिस्तान हमारे लिए अक्सर मुश्किलें खड़ी करते हैं, अब वक्त आने पर हम वहीं उन्हें टारगेट करके मारेंगे. और दुश्मन हमें देख भी नहीं पाएगा. ये ताकत अब हमें राफेल के आने से मिल चुकी है. अब इंडियन एयरफोर्स के पास पूरी तरह से हथियारों से लैस कॉम्बैट राफेल है.
आइए जानते हैं कि राफेल में ऐसी क्या खासियत है जो इसे हर जंग का ऑलराउंडर माना जा रहा है. राफेल की तुलना में पाकिस्तान का F-16 और चीन का चेंग्दू J-20 कहां ठहरते हैं. इन तीनों एयरक्राफ्ट में कौन किससे बेहतर है. सितंबर 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस की सरकार के साथ 36 राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की डील पर हस्ताक्षर किए थे. करार के तहत हमें राफेल के साथ-साथ SCALP, Meteor और Mica जैसी खतरनाक मिसाइलें भी मिलेंगी,जो इस डील को खास बनाती हैं..
ये जो ग्राफिक्स दिख रहा है उससे आप रेंज, स्पीड समझ सकते हैं. जहां रेंज, स्पीड के मामले में राफेल पीछे दिख रहा है, तो बता दें कि राफेल रेट ऑफ क्लाइंब यानी किस गति से विमान ऊंचाई पर पहुंच सकता है. इस मामले में राफेल, F-16 से कहीं बेहतर है. ईंधन क्षमता इंटर्नल , एक्सटर्नल दोनों में ही राफेल आगे है.
अब बात उसकी जिसपर सबकी नजर है. राफेल के साथ आने वाले घातक मिसाइल और हाई टेक्नॉलजी की. तो सबसे ज्यादा जिसकी चर्चा है हैमर की उसी से बात शुरू करते हैं.
राफेल, हैमर मिसाइल किट से लैस होगा. ये हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है. फ्रांस ने अपने एयरफोर्स और नेवी के लिए तैयार की थी, अब इसका इस्तेमाल राफेल में होगा..दुश्मन के निशानों को एग्जेक्ट टारगेट करना और दूर तक निशाना साध पाना. 60-70 किलोमीटर के दायरे में आने वाले ठिकानों को ये तबाह कर सकती है और अधिकतम 500 किलो तक के बम इससे गिराए जा सकते हैं. मौसम, रात दिन का कोई असर इस मिसाइल पर नहीं है.
किसी भी क्षेत्र जैसे पहाड़ी-दुर्गम इलाको तक तैयार बंकर्स को इससे भेदा जा सकता है. इसकी अहमियत आप इस बात से समझ सकते हैं कि इजराइली स्पाइस-2000 को हटाकर अब इसे चुना गया है. बताया जा रहा है कि चीन से तनाव के बीच भारत ने हैमर को चुनने का फैसला लिया है. पाकिस्तान का F-16 हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल AGM 65 Maverick से लैस है.
हवा से हवा में मार करने की क्षमता को देखें तो तीनों देशों के पास अलग-अलग टेक्नोलॉजी और मिसाइल हैं.
तीनों एयरक्राफ्ट एयर टू एयर कॉम्बैट, ग्राउंड सपोर्ट औऱ एंटी शिप स्ट्राइक जैसी चीजों से लैस हैं. और इसी के साथ कई तरह के हथियार से तीनों ही एयरक्राफ्ट लैस हैं. लेकिन BVR (बियंड विजुअल रेंज) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में राफेल के Meteor के पास कुछ ज्यादा क्षमताएं दिख रही हैं. ये 120 किमी दूर स्थित टार्गेट को हिट करने की क्षमता रखती है.
इसकी तुलना में पाकिस्तान के पास AIM-120 AMRAAM मिसाइल हैं. Meteor और F-16 AIM-120 AMRAAM मिसाइल दोनों ही रडार से गाइड होने वाली मिसाइल है. पाकिस्तान के F-16 ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत के फाइटर एयरक्राफ्ट्स के साथ हुई लड़ाई में AMRAAM मिसाइल का इस्तेमाल किया था. उस समय कहा गया था कि भारतीय वायुसेना के पास AMRAAM मिसाइल की टक्कर की कोई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल नहीं है. AMRAAM की रेंज करीब 100 किमी बताई जाती है. अब फ्यूल के मामले में इससे बेहतर और बेहतर रेंज वाली Meteor मिसाइल भारत के पास होंगी.
मीडिया रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि जब Meteor मिसाइल को बनाया गया था तो उसे 6 यूरोपियन देशों ने डेवलप किया था, जब ये प्रोजेक्ट चल रहा था तो उसका मकसद था कि रशियन फाइटर जेट मिट -29 और सुखोई Su-27 को काउंटर करना. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के पास करीब 500 Su-27 ऑपरेशनल हैं. अब एक्सपर्ट बताते हैं कि आगे आने वाले सालों में चीनी इसी फाइटर जेट के डेरेवेटिव्स का इस्तेमाल ज्यादातर करेंगे तो ऐसे में भारतीय एयरफोर्स के पास Meteor मिसाइल होने से भारत को यहां बढ़त मिलती दिख रही है.
रडार सिस्टम का इस्तेमाल दुश्मन एयरक्राफ्ट या दूसरे टारगेट का पता लगाने के लिए किया जाता है. चीन ने J-20 में इस्तेमाल होने वाली रडार पर कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी है. हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये एयरक्राफ्ट Active Electronically Scanned Array (AESA) का इस्तेमाल करता है. पाकिस्तान के F-16 औऱ राफेल में भी यही इस्तेमाल होता है. AESA को दुनिया की सबसे एडवांस्ड रडार टेक्नोलॉजी में से एक माना जाता है.
राफेल में एक अहम टेक्नोलॉजिकल फीचर उसका इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुइट है-SPECTRA.
कुल मिलाकर राफेल दुश्मन के रडार को चकमा दे सकता है. उसके रडार का पता लगा सकता है. ये हवा से हवा में, हवा से जमीन पर मार कर सकता है. ये सात तरह के बम और मिसाइल ढो सकता है. ये न्यूक्लियर आर्म्स भी कैरी कर सकता है. ये स्ट्रैटेजिक ठिकानों की हिफाजत के लिए दुश्मन के मिसाइल को रास्ते में डिकॉय भेजकर गुमराह और तबाह कर सकता है और किसी मूविंग निशाने के पीछे मिसाइल लगा दे तो एकदम सटीक हमला कर सकता है.
आखिर में बात अनुभव की इन तीनों के पास कॉम्बैट एक्सपीरियंस कितना है ?यहां जे-20 पर राफेल को साफ बढ़त है. जे-20 की सारी क्षमताएं पेपर पर ही दिखाई देती हैं, साथ ही इस चीनी फाइटर जेट के बड़े-बड़े दावों का कोई पुख्ता सबूत भी नहीं दिखता, क्योंकि कोई भी कॉम्बैट इसका अबतक देखने को नहीं मिला है. वहीं दूसरी तरफ लिबिया, इराक, सीरिया जैसे देशों में राफेल का बढ़िया ट्रैक रिकॉर्ड है. ये जेट यहां पर काम कर चुका है. वहीं करीब 3000 F-16 लड़ाकू विमान फिलहाल 25 देशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
और आखिर में वही बात जो सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है. पाकिस्तान का ये वही F-16 है जिसे भारत के मिग-21 बाइसन ने ढेर कर दिया था. तो इसका मतलब ये है कि सिर्फ टेक्निकल पैरामिटर एक लड़ाई में जीत हार नहीं तय करते. वहां पायलट की ट्रेनिंग, सूझबूझ, जांबाजी और सोचने-समझने की क्षमता सबसे बड़ा फैक्टर होती है.
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