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लंदन की प्रॉपर्टी में पूरे निवेश पर राघव बहल ने खुद किया खुलासा

राघव ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखकर खुद दिया लंदन वाली प्रॉपर्टी में निवेश का ब्योरा

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राघव बहल की वित्त मंत्री को चिट्ठी
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राघव बहल की वित्त मंत्री को चिट्ठी
(फोटोः The Quint)

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वित्त मंत्री को खत

विषय: लंदन की प्रॉपर्टी की खरीद के बारे में स्वैच्छिक खुलासा कि ये अपनी और परिवार की टैक्स पेड आय से खरीदी गई है, ताकि जांच एजेंसियों के पास अब मनी लॉन्ड्रिंग और/या काला धन (जो कि है ही नहीं) पर जांच कर अपना समय और साधन बर्बाद करने की वजह न बचे, ताकि अब एजेंसियां के पास, कानून और प्रक्रिया का उल्लंघन करने के अलावा, जांच का दूर-दूर तक का कोई बहाना न बचे.

डियर निर्मला जी,

ये चिट्ठी 8 जून, 2019 को आपको लिखी गई मेरी चिट्ठी की ही अगली कड़ी है.

संक्षेप में,

  • उम्मीद करता हूं कि नीचे मैं जो जानकारियां खुद से सामने आकर दे रहा हूं, उससे मंत्रालय और संबंधित विभागों को उनके सारे संभावित सवालों के जवाब मिलेंगे और अभी तक उन्होंने जो गलतियां की हैं, उन्हें सुधारने का मौका भी मिलेगा.
  • नीचे जो खुलासे हैं, उससे शक की रत्ती भर गुंजाइश भी खत्म हो जानी चाहिए. इससे जांच या छानबीन जारी रखने का कोई बहाना भी नहीं बचेगा. जो कागजी सबूत मैंने पहले दिए हैं और जो खुलासे यहां कर रहा हूं उससे साबित हो जाएगा कि लंदन की प्रॉपर्टी खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया एक-एक पैसा (अक्षरश:), जिसकी जांच हो रही है, मेरी और मेरे परिवार के सदस्यों की आमदनी से अदा की गई है.
  • इन आमदनियों पर सारे टैक्स सही तरीके से चुकाए गए हैं, इन आमदनियों के बारे में सारी जानकारियां कानून के मुताबिक दी जा चुकी हैं और कोई भी पैसा निश्चित तौर पर काले धन के जरिए से नहीं आया है.

मैं ये लिख रहा हूं क्योंकि दशकों तक अलग-अलग दलों की सरकारों को कवर करते हुए मैंने अनुभव किया है कि अफसरशाही का रवैया हमेशा यही रहा है कि वो अपने गलती न मानते हैं, न सुधारते हैं, तब भी नहीं जब सबको पता होता है कि उनसे गलती हुई है.

चूंकि सरकारी कर्मचारी के तौर पर किए गए फैसलों के लिए निजी तौर पर अफसरों को 'अभयदान' प्राप्त रहता है, इसलिए अफसरों का रवैया ये होता है कि अगर पीड़ित अदालत जाता है और वहां से राहत मिले तो मिले, वरना वो वहां भी इसका विरोध करते हैं, चाहे मामले में दम हो या नहीं हो. नतीजे में होता ये है कि पीड़ित व्यक्ति का उत्पीड़न तो होता ही है, सरकार का बहुत सारा समय और ऊर्जा भी बर्बाद होती है साथ ही न्याय व्यवस्था में भी मामलों का अंबार लग जाता है.

जो सूचनाएं मैं नीचे दे रहा हूं, वो 1 मई, 2019 को आयकर विभाग द्वारा मुझे गए भेजे कारण बताओ नोटिसों में पूछे गए सवालों के दायरे से भी आगे हैं, और खुद से दी गई जानकारी की श्रेणी में आती हैं, ताकि लंदन की प्रॉपर्टी में मेरे निवेश के बारे में थोड़ी सी भी जिज्ञासा या शक की वजह न बचे. इस प्रॉपर्टी से संबंधित हर पेमेंट बैंक के जरिए गई है, टैक्स चुकाकर कमाई गई है और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा तय लिमिट में है, और इस जानकारी से साबित होना चाहिए कि अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोप और कुछ नहीं, बल्कि उस चीज की व्यर्थ तलाश है, जो कभी मिलनी ही नहीं है.

यही नहीं, मैं मौजूदा आयकर रिटर्न को वक्त से पहले फाइल कर रहा हूं ताकि लंदन की पूरी तरह से घोषित प्रॉपर्टी से संबंधित हर लेनदेन के बारे में ऑन रिकॉर्ड पहले से पता हो, इसमें उस पेमेंट की जानकारी भी शामिल हैं जिसके बारे में 1 मई, 2019 को भेजे गए कारण बताओ नोटिसों में भी नहीं पूछा गया है.

मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है क्योंकि मैंने कानून का पालन किया है और कोई अपराध नहीं किया है, और मैं चाहता हूं कि सरकार इसकी कद्र करे. और मुझे मेरे पत्रकारिता के पेशे की जिम्मेदारियों को निभाने और व्यक्तिगत जीवन बेरोकटोक जीने की इजाजत दे, जैसा कि संविधान में गारंटी दी गई है.

जैसा कि पहले बताया गया है, इससे सरकार और विभागों को असली मामलों में अपना ध्यान लगाने का वक्त देने में मदद मिलनी चाहिए जो लोक हित के लिए जरूरी हैं, और सरकारी रेवेन्यू के साथ-साथ ईमानदारी और शुचिता को बढ़ाने में भी इससे मदद मिलेगी.

इसके अलावा यहां मैं उस प्रॉपर्टी को खरीदने में आज तक जितने पैसे लगे हैं उसका पूरा ब्योरा दे रहा हूं. सारा पैसा टैक्स पे करने के बाद बची रकम और एक लोन से आया है. साथ ही उस प्रॉपर्टी को खरीदने में कौन सा स्ट्रक्चर अपनाया गया और किस तरह से ट्रस्ट बना, ताकि प्रॉपर्टी की विरासत की भी प्लानिंग ठीक से हो सके, इसका भी ब्योरा दे रहा हूं. प्रापर्टी खरीदने के लिए जो कंपनी और ट्रस्ट बनी है उसके सेटलर, प्रोटेक्टर और बेनीफिशियरीज, सारे परिवार के सदस्य हैं और पूरी प्रक्रिया दुनिया की एक सम्मानित मैनेजमेंट कंपनी की देखरेख में हुई है. इस पूरी प्रक्रिया में सरकारी रेवेन्यू को किसी तरह का नुकसान ना हो, इसका खास ख्याल रखा गया है.

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डिस्क्लोजर्स-

  • श्रीमती रितु कपूर ने आइल ऑफ मैन में एक ट्रस्ट का गठन किया, उसके लिए USD 98,333 लगाए. रिजर्व बैंक की LRS लिमिट इसकी इजाजत देती है. RB ट्रस्ट के बारे में जरूरी जानकारी संलग्न है.

प्रोटेक्टरः श्री राघव बहल

पोटेन्शियल बेनेफिशियरीज- श्री राघव बहल, सुश्री तारा बहल, और श्री विदुर बहल

ट्रस्टीः ट्रस्ट कंपनी (आइल ऑफ मैन) लिमिटेड

  • आइल ऑफ मैन स्थित कंपनी 'आरबीआरके इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड’ के 100% इक्विटी शेयर कैपिटल पर आरबी ट्रस्ट का मालिकाना हक है. इस कंपनी की 100% इक्विटी शेयर कैपिटल को GBP 1 के दो इक्विटी शेयरों के रूप में दिखाया गया है.
  • साल 2015 से अब तक, राघव बहल ने परिवार के सदस्यों के साथ कुल 2,880,848 USD और 506,900 GBP रिडिमेबल प्रिफरेंस शेयर जारी करने के लिए RBRK इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड को दिए. श्री राघव बहल और उनके परिवार द्वारा आरबीआरके इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड को भेजे गए धन ( जिसमें परिवार के सदस्यों के बीच घोषित गिफ्ट भी हैं ) का ब्योरा निम्नानुसार है-
  • लंदन की प्रॉपर्टी खरीदने के लिए ऊपर जिस भेजे हुए धन का जिक्र है उसमें श्री राघव बहल और सुश्री तारा बहल ने अलग-अलग 272,500 GBP का भुगतान किया. लेकिन, नवंबर 2017 में, श्री राघव बहल और सुश्री तारा बहल ने प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा आरबीआरके इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के सुपुर्द कर दिया. तदनुसार, आरबीआरके इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड ने 272,500 GBP के कम्यूलेटिव रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर श्री राघव बहल और सुश्री तारा बहल को अलग-अलग जारी कर दिए.
  • इसके साथ, आरबीआरके इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड ने Bank Plc. London से 2,043,750 GBP का लोन लिया, जिसे 2018 में लंदन की प्रॉपर्टी की खरीद की फाइनल पेमेंट को पूरा करने के लिए बैंक ने मंजूरी दी थी. लोन की वो पूरी रकम अभी बकाया है.
  • इसलिए, लंदन की प्रॉपर्टी की कुल खरीद कीमत 2,861,250 GBP है जो निम्नानुसार फंडेड है:
  • इसके अलावा श्री राघव बहल और श्रीमती रितु कपूर ने लंदन की प्रॉपर्टी से संबंधित कानूनी खर्चों, मरम्मत, फर्नीचर और फिटिंग वगैरह के मद में 224,321 GBP और 116,037 GBP चुकाए.

इसलिए ये एकदम साफ है कि लंदन की प्रॉपर्टी खरीदने और संबंधित खर्चों के लिए (कानूनी, मरम्मत, फर्नीचर और फिटिंग वगैरह) पूरा फंड :

  • श्री राघव बहल और परिवार ने बैंकों के जरिए भारत से भेजे
  • Bank Plc. London से लोन लिया

और सफाई के लिए हर लेनदेन को समझाने वाला फ्लोचार्ट संलग्न है

जिस तरह की लीडरशिप के लिए आप जानी जाती हैं, मुझे उम्मीद और भरोसा है कि ऊपर दी गई जानकारी के आलोक में आप अफसरों को निर्देश देंगी कि काम करने का ऐसा कल्चर बनाएं, जिसमें कानून संगत फैसले हों और गलतियों को सुधारने की गुंजाइश हो. मुझे उम्मीद है कि आप अफसरों से दी गई जानकारी की जांच करने के लिए कहेंगी और मेरे खिलाफ कार्रवाई, जिसका कोई आधार ही नहीं है, को रद्द किया जाएगा.

मुझे भरोसा है कि ऐसा करने से मेरे जैसे कानून मानने वाले नागरिकों को न्याय पाने के लिए न्यायपालिका का बोझ बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

साथ ही मैं यह भी भरोसा दिलाता हूं कि इसके अलावा विभाग को जब भी किसी और सूचना या दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी, मैं बिना देरी किए उपलब्ध कराउंगा.

सादर

राघव बहल

(इस लेटर की एक कॉपी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) प्रमोद चंद्र मोदी, और डायरेक्टर, इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट संजय कुमार मिश्रा को भी भेजी गई है.)

( श्री राघव बहल, द क्विंट के सह-संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ हैं. ये लेटर उन्होंने अपनी निजी हैसियत से लिखा है. यह द क्विंट या क्विंटिलियन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा या इसकी ओर से दिया गया बयान नहीं है. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

संलग्न

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