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गुजरात के सीएम ने जिस तिरंगे को ठुकराया, राहुल ने उसे अपनाया

दलितों का दर्द समझने की कोशिश कर रहे हैं राहुल गांधी

द क्विंट
भारत
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राहुल को गुजरात में  पढ़े-लिखे युवा दलितों का समर्थन मिल रहा है
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राहुल को गुजरात में पढ़े-लिखे युवा दलितों का समर्थन मिल रहा है
फोटो : PTI 

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गुजरात में दलित और कांग्रेस नजदीक आते दिख रहे हैं. युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी भले ही कांग्रेस में शामिल न हुए हों, लेकिन राहुल गांधी राज्य में दलितों का साथ देने में पीछे नहीं हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उस विशाल तिरंगे को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, जिसे कुछ दिनों पहले दलितों ने बनाया था.

125 फीट चौड़े और 83.3 फीट ऊंचे इस झंडे को सीएम विजय रूपाणी ने यह कहकर रखने से मना कर दिया था कि इसके लिए उनके पास जगह नहीं है.

दलित अधिकार कार्यकर्ता और नेता मार्टिन मैकवान ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज सीएम को भेज कर उनसे छुआछूत खत्म करने की अपील करने को कहा गया था. लेकिन गांधीनगर कलेक्ट्रेट के अफसरों ने कहा कि इसे रखने के लिए जगह नहीं है. जगह होने पर बताया जाएगा.

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मार्टिन मैकवान ने कहा:

यह राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है. इसे दस राज्यों के दलितों ने बनाया है. लेकिन सीएम इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं

एक साल पहले ऊना में कुछ दलित युवाओं की गोरक्षकों के हाथों बेरहमी से पिटाई के बाद राज्य के दलितों में काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. दलितों को लगा था कि बीजेपी सरकार में उनकी सुरक्षा को मान-सम्मान को खतरा है. लिहाजा दलित उन नेताओं की ओर झुकते दिख रहे हैं, जो उनके समर्थन में सामने आ रहे हैं.

दलितों के बनाए राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार कर राहुल गांधी उनके दिल के और करीब पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

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Published: 23 Nov 2017,06:32 PM IST

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