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मानहानि मामले में गुजरात की एक कोर्ट के आदेश के दस दिन बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोमवार, 3 अप्रैल को सूरत सेशन कोर्ट में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की. इस अपील में राहुल ने कहा कि उनके खिलाफ की गई शिकायत "राजनीतिक रूप से प्रेरित" थी और उन्हें दी गई दो साल की सजा "कानून के खिलाफ" थी.
याचिका दायर करने के बाद कोर्ट ने राहुल गांधी को जमानत दे दी और उनकी याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक उनकी सजा पर रोक लगा दी.
आइए जानते हैं कि राहुल गांधी ने अपनी याचिका में और कौन-कौन सी दलीलें दी हैं.
राहुल गांधी ने तर्क दिया है कि शिकायत करने वाले बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं था.
उन्होंने याचिका में कहा है कि मानहानि के संबंध में केवल अपराध से पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत दर्ज करा सकता है.
सिर्फ इसलिए कि उनका सरनेम 'मोदी' है और कथित अपमानजनक बयान में 'मोदी' शब्द है, पूर्णेश मोदी के पास शिकायत दर्ज करने की कोई वजह नहीं थी. अगर सही तरह से देखें तो पीएम मोदी को ऐसा करना चाहिए था क्योंकि बयान में उनका नाम शामिल था.
राहुल गांधी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने दोषसिद्धि के दो कारण बताए कि शिकायतकर्ता (बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी) उनके बयानों से हैरान थे और यह कि उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती थी.
हालांकि इन वजहों से पूर्णेश मोदी आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत एक पीड़ित व्यक्ति नही बनते हैं.
Bar and Bench की रिपोर्ट के मुताबिक गांधी ने अपनी दलील में कहा है कि सरकार की आलोचना करना और विपक्ष के नेता के रूप में सत्ता में बैठे लोगों के लिए परेशानी पैदा करना उनका कर्तव्य है.
याचिका में कहा गया है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में इसका उपयोग करने के लिए शिकायत दर्ज की गई थी, क्योंकि पूर्णेश मोदी लोकसभा क्षेत्रों में से एक के चुनाव के प्रभारी थे.
याचिका में कहा गया है कि जिस बयान की वजह से कथित तौर पर राहुल गांधी को मुश्किलों में डाला गया, उसमें नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या और अनिल अंबानी के नाम भी शामिल हैं.
दलील में तर्क दिया गया कि इस बात के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड होना चाहिए कि राहुल गांधी ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में कोई मोदी समाज या समुदाय है ही नहीं.
दलील में यह भी कहा गया है कि
राहुल गांधी ने कहा है कि न्यायाधीश ने देश भर की अदालतों के पिछले फैसलों को ध्यान में नहीं रखा, जिसमें मानहानि के लिए अधिकतम सजा दी गई है.
मानहानि से संबंधित आदेश पारित होने के तुरंत बाद राहुल गांधी की सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया ताकि वे अपनी दोषसिद्धि की अपील कर सकें.
उसके अगले दिन 24 मार्च को उन्हें संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया. इसके चलते उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी.
राहुल गांधी की अयोग्यता के बाद, उन्हें सरकार द्वारा आवंटित बंगला खाली करने की भी नोटिस भेजी गई.
कोर्ट के आदेश और राहुल गांधी की अयोग्यता के बाद बजट सत्र के दौरान विपक्षी नेताओं ने हंगामा किया.
इस बीच, पटना की एक अन्य कोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम बयान पर 12 अप्रैल को पेश होने के लिए समन भेजा है. यह शिकायत बिहार से बीजेपी सांसद पूर्णेश मोदी ने दर्ज कराई है.
सेशन कोर्ट ने सोमवार को राहुल गांधी की अपील के निस्तारण तक मामले में उनकी दो साल की जेल की सजा पर रोक लगा दी, लेकिन अभी तक उनकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई है.
संसद से उनकी अयोग्यता को वापस लेने पर विचार करने से पहले उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगना जरूरी है.
सूरत की कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया है, जिन्हें 10 अप्रैल तक याचिका पर अपना जवाब दाखिल करना होगा.
मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.
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