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कोरोना संकट काल में राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य में ले जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन आखिर क्यों अपने रूट से भकट रही है? आखिर क्यों यात्रियों को ट्रेन में लम्बा समय गुजरना पड़ रहा है और क्या वजह है कि श्रमिकों को खाने पीने तक की सुविधा नहीं मिल पा रही हैं. ऐसे कई सवालों की जब हमनें पड़ताल करनी शुरू की तो कई तरह की बात निकलकर सामने आईं .
मुंबई से सटे वसई से गोरखपुर जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन की घटना सबसे पहले आई थी जो गोरखपुर की जगह ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई, जिसके बाद ये सवाल उठा कि, आखिर कैसे किसी ट्रेन का रूट बदल गया और किसी को भनक भी नहीं लगी.
रेलवे विभाग में काम करने वाले अधिकारियों ने क्विंट को बताया कि, ट्रेन चालक के रास्ता भटकने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि रेलवे में ये सम्भव नहीं है, जो रूट जोनल ऑफिस तय करत हैं उस हिसाब से ही गाड़ी चलती है,
उन्होंने आगे बताया कि, 23 और 24 को यूपी और बिहार जाने वाले सबसे छोटे रूट पर ट्रैफिक बहुत ज्यादा था, जिसके चलते रूट बदलने का फैसला लिया गया.
मुंबई और गुजरात से आमतौर पर यूपी या बिहार जाने वाली ट्रेन का रूट भुसावल, खाण्डव, इटारसी, जबलपुर, कटनी होते हुए इलाहाबाद के रास्ते बिहार को जाता है . दूसरा रूट है इटारसी, भोपाल, झांसी और कानपुर होते हुए ट्रेन बिहार जाती है. उन्होंने कहा,
रेलवे विभाग के एक अधिकारी से क्विंट को बताया कि, कंजेशन होने के पीछे कई कारण है, 23 और 24 मई को महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण के राज्यों से जाने वालेे ट्रेनों में लगभग 80% ट्रेन UP और बिहार की थी. एक ही दिन में लगभग 200 से ज्यादा ट्रेन.
दूसरी वजह ये थी कि चंदौली स्टेशन के पास यात्रियों ने कई घंटो तक जमकर हंगामा किया जिसकी वजह से ट्रैफिक और बढ़ गया. तीसरा कारण है चेन पुलिंग, बताया जा रहा है कि इसके चलते भी ट्रैफिक बहुत हद तक प्रभावित हुआ.
खाने-पीने की समस्या को लेकर अधिकारियों ने बताया कि, लॉकडाउन की वजह से कई छोटे स्टेशन पर इतनी बड़ी संख्या में खाने की व्यवस्था करना थोड़ा मुश्किल है, तय रूट पर खाने-पीने की व्यवस्था रखी गई थी, बड़े स्टेशन पर लेकिन कंजेशन की वजह से रूट बदलने पड़े और खाने पीने की व्यवस्था नहीं हो सकी, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
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