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राजस्थान: मंदिर हटाने से पहले सरकार से लेनी होगी इजाजत, जल्द कानून बनाएगी सरकार

नियमों की कवायद पूरी की जा रही है. बोर्ड में प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजा जाएगा- महेश शर्मा, विप्र कल्याण बोर्ड

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>राजस्थान: मंदिर हटाने से पहले सरकार से लेनी होगी अमुमति, विप्र बोर्ड बनाएगा नियम</p></div>
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राजस्थान: मंदिर हटाने से पहले सरकार से लेनी होगी अमुमति, विप्र बोर्ड बनाएगा नियम

फोटो- क्विंट

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अलवर के राजगढ़ और सालासर में प्रशासन द्वारा मंदिर को गिराए जाने के मामले के बाद विपक्ष और हिन्दुवादी संगठनों के निशाने पर आई राजस्थान (Rajasthan) सरकार जल्द ऐसा कानून लाएगी जिसके जरिए किसी भी धार्मिक स्थल को हटाने से पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य होगा.

सरकार का विप्र कल्याण बोर्ड मंदिर या अन्य धार्मिक स्थलों को हटाने को लेकर नए नियम-कायदे बनाकर सरकार को भेजेगा.

यही नहीं मंदिर को हटाने से लेकर उसे फिर से स्थापित करने तक की प्रक्रिया को विप्र बोर्ड अपनी देखरेख में करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेज रहा है. मंदिर को हटाने से पहले  पंडितों की कमिटी इस प्रक्रिया को पूरे विधि-विधान से करवाएगी और नजर भी रखेगी.

इस मामले में विप्र कल्याण बोर्ड राजस्थान के अध्यक्ष महेश शर्मा ने बताया कि नियमों की कवायद पूरी की जा रही है. बोर्ड में प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजा जाएगा. यदि कहीं मंदिर हटाया जाता है तो विप्र कल्याण बोर्ड से अनुमति लेनी होगी. मंदिर को हटाने से लेकर फिर स्थापित करने तक की प्रक्रिया बोर्ड की देखरेख में होगी.

इस तरह के कायदे लाने के पीछे सरकार का उद्देश्य है कि यदि विकास के लिए धार्मिक स्थलों को हटाया जाता है तो किसी तरह के विवाद से बचा जा सकता है. हाल ही में राजगढ़ में जिस तरह से मंदिर को हटाया गया उसकी वजह से काफी विवाद हुआ, जिसके बाद सरकार ने बाद में कार्रवाई करते हुए राजगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष और कई अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया था.

इससे पहले वसुंधरा सरकार को भी विरोध झेलना पड़ा था. जयपुर मेट्रो के नाम पर वसुंधराराजे शासन में दो साल में 65 मंदिर तोड़े गए थे. इसमें से 23 मंदिर काफी पुराने थे. इसके बाद कई बीजेपी नेताओं और आरएसएस सहित अन्य हिन्दुवा​दी संगठनों ने वसुंधरा राजे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. बाद में सरकार ने अपने खर्चें पर मंदिरों का फिर से निर्माण करवाया था.

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