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राजस्थान में अफसरों को बचाने वाले विवादित बिल मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है वसुंधरा सरकार. चौतरफा विरोध के चलते आपराधिक कानून बिल को सलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया है.
बता दें कि सोमवार को विधानसभा में राजस्थान सरकार ने पब्लिक सर्वेंट और जजों के खिलाफ केस दर्ज करने से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेने वाला बिल पेश किया था. इस बिल को विधानसभा में पेश करने से पहले वसुंधरा सरकार ने 7 सितंबर को एक अध्यादेश जारी किया था.
इससे पहले ये खबर आई था राजस्थान सरकार के नए आपराधिक कानून बिल को लेकर हो रहे चौतरफा विरोध के चलते वसुंधरा सरकार बिल में कुछ बदलाव कर सकती है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल से इसमें दोबारा विचार करने के लिए कहा था. सूत्रों के मुताबिक सोमवार शाम को सीएम वसुंधरा ने अपने घर पर बीजेपी के एमएलए और मंत्रियों से मुलाकात की.
अध्यादेश के मुताबिक,
सोमवार को बिल पेश होने के बाद राजस्थान विधानसभा में विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया. कांग्रेस ने विधानसभा से वॉक आउट कर लिया. हंगामा बढ़ता देख विधानसभा स्पीकर ने मंगलवार तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
वहीं इस बिल को लेकर कांग्रेस के अलावा खुद बीजेपी के कुछ नेता भी विरोध कर रहे हैं. बीजेपी के बड़े नेता घनश्याम तिवारी ने वसुंधरा राजे सरकार के नए कदम को अंसवैधानिक करार दिया. घनश्याम तिवारी ने कहा
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक विवादित अध्यादेश को लेकर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर ताना मारा था. राहुल ने अपने एक ट्वीट में कहा कि हम 2017 में जी रहे हैं ना कि 1817 में. गांधी ने ट्वीट कर कहा पूरी विनम्रता से मैं कहना चाहता हूं कि हम 21वीं सदी में हैं. ये 2017 है, 1817 नहीं.
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