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कोविड की वजह से बढ़ी बाल तस्करी, तंगी से बच्चों को मजदूर बनाने को मजबूर मां-बाप

Rajasthan में एक साल में बाल श्रमिकों के 1381 केस पर कार्रवाई के दौरान 1588 लोग गिरफ्तार

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बाल तस्करी

(photo-The Quint)

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राजस्थान में बाल तस्करी के मामले लगातार पढ़ रहे है. इस अपराध को लेकर आंकड़े डराने वाले सामने आ रहे है. कोविड की दूसरी लहर के बाद आम लोगों के बिगड़ते आर्थिक हालत ने बाल श्रम के आंकड़ों में तेजी से इजाफा कर दिया है. मजबूरी में परिवार पालन के लिए बच्चों को भी श्रम की भट्टियों में झोंका जा रहा है जिसका भरपूर फायदा बाल तस्कर उठा रहे हैं. प्रदेश के अलग-अलग थानों में 1 जनवरी 2020 से 31 जनवरी 2022 तक बाल श्रमिकों को काम करवाने के कुल 1381 प्रकरण दर्ज किए गए है. मामलों में  1588 अभियुक्‍तों को गिरफ्तार किया गया.

पुलिस में दर्ज इन मामलों में जहां एक तरफ बाल तस्करी का आंकड़ा बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं प्रदेश के 28 जिलों में बाल तस्करों का जाल फैला दिखाई दे रहा है. तस्करों ने बच्चों को बालश्रम में झोंकने का तरीका भी बदल लिया है. एक जिले से दूसरे जिले में भी बालश्रम के लिए बच्चे भेजे जा रहे है. वहीं प्रदेश के बाहर नेपाल से भी बच्चों को बालश्रम के लिए राजस्थान लाया जा रहा है. राजस्थान में श्रम के लिए ज्यादातर बच्चे उत्तर—प्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, जम्मू—कश्मीर, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा यहां तक की दिल्ली से भी लाए जा रहे है.

पहले लहर में घबराएं फिर से काम शुरू

बाल श्रम के लिए लाए जाने वाले बच्चे कोविड की पहली लहर के बाद आना कम हो गए थे. बच्चों के परिजनों ने घबरा कर उन्हें भेजना बंद कर दिया था, लेकिन दूसरी लहर में बिगड़ी आर्थिक स्थिति के कारण अब एक बार फिर से बाल तस्कर सक्रिय हो गए है. राजस्थान में देश भर से बच्चे लाए जा रहे है. वहीं यहां से बाहर भी भेजे जा रहे है.उदयपुर से बच्चों को प्रदेश के अन्य जिलों और राज्यों में ज्यादा बच्चे भेजे जा रहे हैं.

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पुलिस ने बाल तस्करी के मामलों की रोकथाम के लिए ऐसे मामलों में एक से ज्यादा बार पकड़ में आने वाले अभियुक्तिों के खिलाफ आईपीसी की धारा— 370 में कार्रवाई करते हुए 158 आरोपियों के खिलाफ 84 मामले दर्ज कर कार्रवाई की है। ज्यादातर मामलों में चालन भी पेश कर दिए गए है.

एक साल में 1588 गिरफ्तार

राजस्थान के अलग-अलग थानों में  बाल श्रमिकों के दर्ज कुल 1381 मामले हैं. अपराधियों के विरूद्ध चालान पेश किये और 1588 अभियुक्‍तों को गिरफ्तार किया. इन मामलों में 84 अभियुक्‍तों की गिरफ्तारी अभी होनी बाकी है.

बाल श्रम की रोकथाम के लिए  काम कर रहे एनजीओ  टाबर केंद्रीय निदेशक रमेश पालीवाल बताते हैं कि बाल तस्करी के मामलों में अचानक तेजी आई है. कमजोर आ​र्थिक स्थिति के चलते बच्चों को बाल श्रम के लिए भेजा जा रहा है, लेकिन पुलिस की इस मामले में की जा रही कार्रवाई भी बहुत सराहनीय है.

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