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मोदी सरकार एक बार फिर आरोपों से घिरती दिख रही है. विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार यूपी चुनाव को ब्यूरोक्रेट्स के सहारे प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. दरअसल, बुधवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 केंद्रीय मंत्रियों के साथ मिलकर यूपी कैडर के साल 2014 बैच के 35 आईएएस ऑफिसर्स से मुलाकात की, जिसके बाद से विपक्ष इस मुलाकात पर सवाल उठा रहा है.
आगामी विधानसभा चुनाव में 2014 बैच के इन आईएएस अफसरों को चुनाव संबंधी जरूरी काम चुनाव आयोग द्वारा सौंपा जाना है.
ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के गृहमंत्री और सरकार के 11 मंत्रियों ने यूपी कैडर के साल 2014 बैच के आईएस अफसरों से मुलाकात की.
इस मीटिंग में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ मोदी सरकार के वो तमाम मंत्री थे जिनका यूपी से कोई न कोई कनेक्शन है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, कृषि राज्य मंत्री संजीव बाल्यान, महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, स्वास्थ राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, राज्य मंत्री निरंजन ज्योति और मुख्तार अब्बास नकवी भी मौजूद रहे.
ये मीटिंग इसलिए भी विवादों में आ रही है क्योंकि पहले कभी ऐसी मीटिंग हुई नहीं है जिसमें कोई सीनियर मंत्री या फिर मंत्रियों का दल किसी खास राज्य या किसी खास कैडर के आईएस अफसरों मिला हो. प्रधानमंत्री या सीनियर मंत्री अमूमन आईएस, आईपीएस या आईएफएस के पूरे बैच से मिलते हैं.
विपक्ष ने फौरन इस मुद्दे को लपक लिया है. ओवैसी ने इस खबर पर लिखा है कि उम्मीद है चुनाव आयोग ये सब देख रहा होगा.
कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा है कि केंद्र सरकार केवल चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने कहा कि इस तरह की बैठक के बारे में पहले कभी नहीं सुना. यह ठीक नहीं है और इस मामले पर चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए.
इस मीटिंग में मौजूद मोदी सरकार की मंत्री अनुप्रिया पटेल ऑन रिकॉर्ड भी आईं और इस कंट्रोवर्सी कहा कि,
राजनाथ सिंह ने इस मुलाकात को महज एक प्रोत्साहन बैठक करार दिया है. राजनाथ सिंह ने बैठक में यूपी के 2014 बैच के आईएस अफसरों से कहा कि अपने काम से नाम कमाना जरुरी है.
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी यंग ऑफिसर्स को जिलों में तैनाती के दौरान जनता की मदद करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि किसी को भी 'ना' कहना आसान होता है लेकिन कोशिश करें कि आप किसी को 'ना' न कहें.
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