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गलवान घटना के बाद दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की पहली बैठक में भारत ने चीन (China) को कड़ा संदेश दिया है. सीमा पर अमन-चैन की जरूरत पर जोर देते हुए, नई दिल्ली ने कहा, "मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को खत्म कर दिया है."
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक से इतर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की चीन के रक्षामंत्री जनरल ली शांगफू के साथ मुलाकात के बाद जारी विज्ञप्ति में कहा गया है: "रक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास, सीमाओं पर शांति और अमन-चैन के प्रसार पर आधारित है."
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार, राजनाथ सिंह ने कहा, "LAC पर सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार हल करने की आवश्यकता है. उन्होंने दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को खत्म कर दिया है और सीमा पर पीछे हटने का तार्किक रूप से डी-एस्केलेशन के साथ पालन किया जाएगा."
भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 18 दौर की बातचीत (रविवार 23 अप्रैल) के बाद हॉट स्प्रिंग्स, गलवान और पैंगोंग झील के उत्तरी तट सहित लद्दाख के कुछ क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी हुई है. लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेमचोक और देपसांग मैदानों के स्थिति को हल करने में बहुत कम प्रगति हुई है, जहां चीन ने भारतीय क्षेत्र के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है.
इस सप्ताह की शुरुआत में बैठक के बाद, दोनों पक्षों ने "प्रासंगिक मुद्दों" के निपटारे को "तेज" करने और सीमा क्षेत्रों में शांति की रक्षा करने पर सहमति व्यक्त की थी.
दरअसल, लद्दाख में बार-बार चीनी अतिक्रमण के कारण भारतीय सैनिकों के साथ आमना-सामना हुआ है, जहां गलवान में 2020 में कार्रवाई में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये थे. तब से ऐसी खबरें आती रही हैं कि चीन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों में भारतीय क्षेत्र को काट रहा है और सड़कों और हवाई अड्डों के रूप में बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है.
अपने चीनी समकक्ष के अलावा, राजनाथ सिंह ने अपने ईरानी समकक्ष ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा घराई अष्टियानी से भी मुलाकात की और बैठक सौहार्दपूर्ण और गर्मजोशी भरे माहौल में हुई. दोनों नेताओं ने लोगों से लोगों के संपर्क सहित दोनों देशों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यतागत संबंधों पर जोर दिया.
दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा की और अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सहित क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. इसके अलावा, दोनों मंत्रियों ने अफगानिस्तान और मध्य एशिया के अन्य देशों के लिए रसद संबंधी समस्याओं को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर के विकास पर चर्चा की.
रक्षा मंत्रालय ने कहा, सिंह ने कजाकिस्तान के रक्षा मंत्री कर्नल जनरल रुसलान झाक्सिल्यकोव और ताजिकिस्तान के रक्षा मंत्री कर्नल जनरल शेराली मिर्जो के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें भी कीं, जिसमें दोनों देशों के साथ रक्षा सहयोग के पूरे स्पेक्ट्रम की समीक्षा की गई. साथ ही, आपसी हित के मुद्दों पर भी चर्चा हुई.
राजनाथ सिंह शुक्रवार को एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर एससीओ के तहत अन्य देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे.
(इनपुट IANS के साथ)
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