advertisement
राज्यसभा (Rajya Sabha) के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने रविवार को अपना रुख दोहराते हुए कहा कि 20 सितंबर को कृषि संबंधी बिलों को प्रक्रिया के हिसाब से ही पास किया गया था.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उसकी इस रिपोर्ट पर कि कृषि संबंधी बिलों पर मत विभाजन की मांग करते वक्त विपक्ष के दो सांसद अपनी सीट पर ही थे, हरिवंश ने कहा कि यह सही है कि DMK सांसद तिरुचि सिवा ने अपनी सीट से मत विभाजन की मांग की थी, लेकिन उपसभापति ने मत विभाजन के लिए "सदन में व्यवस्था" बनाए रखने को भी समान रूप से अहम बताया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उसने दोपहर 1 बजे से 1:26 बजे के बीच की राज्यसभा टीवी की आधिकारिक फुटेज की समीक्षा करने के बाद रिपोर्ट किया था कि शिवा ने 1:10 बजे अपनी सीट से मत विभाजन की मांग की थी. इसके अलावा CPM के केके रागेश भी 1:11 बजे अपनी सीट पर ही थे, जब उन्होंने संशोधन के अपने प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग की थी.
अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए हरिवंश (Harivansh) ने एक बयान में कहा कि अध्यादेश को अस्वीकार करने वाले प्रस्ताव और बिलों को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग वाले केके रागेश के संशोधन को एक बजकर सात मिनट पर सदन ने ध्वनिमत से नकार दिया और कई सदस्य आसन के पास आ गए थे और उस समय वे अपनी सीटों पर नहीं थे.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, हरिवंश ने कहा कि तिरुचि सिवा ने दोपहर से पहले बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजे जाने के संदर्भ में अपनी सीट से अपने संशोधन प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग की थी, लेकिन उन्होंने यह कहकर बचाव किया, "आप वैसा ही वीडियो दोपहर एक बजे देखेंगे, जिसमें एक सदस्य रूलबुक को फाड़ते और मेरी ओर फेंकते नजर आ रहे हैं. वह मुझसे पेपर छीनने की कोशिश कर रहे थे, उसी समय कुछ सदस्यों ने मुझे चारों तरफ से घेरकर बचाया." उन्होंने यह बात तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन के संदर्भ में कही.
बता दें कि राज्यसभा में 20 सितंबर को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच तीन कृषि संबंधी बिलों को ध्वनिमत से पास कर दिया गया था.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)