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राज्यसभा मार्शलों की नई वर्दी पर विवाद केबाद गुरुवार को मार्शल बगैर ‘पी-कैप’ के नजर आए. राज्यसभा के मार्शलों की नई ड्रेस रक्षा कर्मियों की तरह दिखती है. सदन के सभापति एम.वेंकैया नायडू के अगल-बगल खड़े मार्शलों ने अपने नए डिजाइन का शूट पहना था.
मार्शलों की सेना जैसी यूनिफॉर्म पर विरोध के बाद सभापति ने मंगलवार को सदन सचिवालय को नई ड्रेस कोड की समीक्षा करने को कहा था. सदन के कुछ सदस्यों के अलावा सेना के कुछ रिटायर्ड अफसरों ने नई यूनिफॉर्म पर आपत्ति जताई थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि राज्यसभा मार्शलों की नई वर्दी की समीक्षा की जा रही है और इसे बदला भी जा सकता है. बताया जा रहा है कि राज्यसभा मार्शल अपने पुरानी वर्दी और खासतौर पर पगड़ी से खुश नहीं थे. इसलिए उन्होंने ड्रेस कोड में बदलाव किए जाने की मांग की थी.
मार्शलों की मांग पर ही चार-पांच राज्यों की विधानसभाओं के मार्शलों की ड्रेस पर विचार किए जाने के बाद इसे बदल दिया गया था.
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा था, ‘कई सुझावों के बाद उच्च सदन के मार्शलों की ड्रेस बदलने का फैसला लिया गया था. लेकिन हमें कुछ लोगों की शिकायत भी मिली है. जिनमें कुछ राजनेता शामिल हैं और कुछ जाने-माने लोग भी हैं. इसीलिए इस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा गया है.’
राज्यसभा में सभापति को फाइल देने और अन्य सहायता के लिए मार्शल होते हैं. अभी तक लोगों ने उन्हें सफेद रंग की ड्रेस और पगड़ी पहने देखा था. लेकिन शीतकालीन सत्र के पहले दिन कुछ नया देखने को मिला. इन मार्शलों के सिर पर पगड़ी की बजाय गहरे हरे रंग (ऑलिव ग्रीन) की ‘‘पी-कैप’’ थी. साथ ही उन्होंने गहरे हरे रंग (ऑलिव ग्रीन) की सैन्य अफसरों जैसी वर्दी पहन रखी थी. यह वर्दी किसी सेना के अफसर से मेल खाती है.
सदन की कार्यवाही के कुछ ही देर बाद इस वर्दी पर विवाद शुरू हो गया. पूर्व आर्मी चीफ वेद प्रकाश मलिक ने इस पर आपत्ति जताई. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "गैर- सैन्य कर्मियों द्वारा सैन्य वर्दी पहनना और उसकी नकल करना गैरकानूनी है और सुरक्षा के लिए खतरा है. मैं उम्मीद करता हूं कि इस पर जल्द कार्रवाई होगी."
पूर्व आर्मी चीफ के बाद सेना के कई अधिकारियों ने इसे लेकर ट्वीट किए और इसका विरोध किया. कई कर्नल और जनरल रैंक के अधिकारियों ने इसे लेकर बयान दिए.
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