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कई दशकों से चले आ रहे अयोध्या भूमि विवाद का निपटारा हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. अब हर किसी के मन में कुछ सवाल तैर रहे हैं? जैसे मंदिर निर्माण कब से शुरू होगा? अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर कैसा होगा?
तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर कैसा होगा और इसका निर्माण कब से शुरू हो सकता है. आपको बता दें, राम जन्मभूमि मंदिर के लिए मॉडल को साल 1989 में ही तैयार कर लिया गया था. इतना ही नहीं दशकों तक विवाद चलने के दौरान भी राम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में मंदिर निर्माण को लेकर तैयारियां चलती रहीं.
विश्व हिंदू परिषद (VHP) नेता शरद शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण ट्रस्ट की देखरेख में होगा. लेकिन ऐसी उम्मीद है कि ट्रस्ट राम जन्मभूमि न्यास (आरजेएन) द्वारा तैयार किए गए डिजाइन के अनुसार ही भव्य मंदिर का निर्माण कराएगा.
शरद शर्मा ने बताया कि राम जन्मभूमि न्यास 1990 से ही अयोध्या के कारसेवकपुरम में एक विशाल कार्यशाला चला रही है और कारीगर इतने दिनों से पत्थरों की नक्काशी इसलिए कर रहे थे क्योंकि उन्हें यकीन था कि एक दिन इनका इस्तेमाल ‘राम लला’ के मंदिर निर्माण में किया जाएगा.
वीएचपी चाहता है कि मंदिर को चंद्रकांत सोमपुरा द्वारा तैयार किए गए डिजाइन के अनुसार बनाया जाए. ये डिजाइन प्रसिद्ध मंदिर वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने 1989 में पूर्व वीएचपी प्रमुख अशोक सिंघल के अनुरोध पर तैयार किया था. मंदिर के इस डिजाइन को वीएचपी ने देशभर के भक्तों के बीच बांटा था.
कार्यशाला प्रभारी डॉ अन्नू भाई सोमपुरा ने बताया, आरजेएन की योजना के अनुसार जो मंदिर बनाया जाएगा वो 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचा होगा और इसमें कुल 212 स्तंभ होंगे.
वर्षों से अयोध्या में मंदिर के लिए दरवाजे और खंभे उकेरे गए हैं, मगर अभी तक 'गर्भगृह' (गर्भगृह) नहीं बनाई गई हैं, जहां राम लला को रखा जाएगा और जहां उनकी पूजा की जाएगी.
न्यूज एजेंसी IANS की खबर के मुताबिक, राम मंदिर में पांच प्रवेश द्वार होंगे. सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रैंड मंडप, पूजा कक्ष और परिक्रमा के साथ सर्व-महत्वपूर्ण 'गर्भगृह'. राम लला की मूर्ति को वहीं पर ही रखा जाएगा. मंदिर के पूर्ण निर्माण के लिए कम से कम 1.75 लाख क्यूबिक फीट पत्थर की जरूरत होगी.
कार्यशाला की देखरेख करने वाले हनुमान यादव का कहना है कि 90 के दशक के तराशे गए कुछ पत्थर काले पड़ गए हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर इन्हें दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा.
यह पूछे जाने पर कि अगर प्रस्तावित ट्रस्ट राम मंदिर के लिए एक नई योजना तैयार करता है तो क्या उसे स्वीकार किया जाएगा? शर्मा ने कहा, "हम आशा करते है की ट्रस्ट आरजेएन योजना को स्वीकार कर लेगी, या कम से कम यह भव्य मंदिर के डिजाइन में शामिल होगा. ये पत्थर हैं, दशकों से लोगों द्वारा दान किए गए धन से लिए गए है.
अयोध्या में 'शिलान्यास' होने से ठीक पहले 1989 में 'श्री राम' लिखी गयी ईंटों को देशभर के भक्तों से जमा किया गया था. अब उन्हें भव्य राम मंदिर की नींव में इस्तेमाल किया जाएगा.
इन ईंटों का इस्तेमाल राम मंदिर आंदोलन में शामिल लोगों के योगदान को चिह्नित करने के लिए स्मारक बनाने के लिए भी किया जाता है.
वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, "1989 में जब 'शिलान्यास' हुआ था, तो इनमें से लगभग 50,000 ईंटों का इस्तेमाल किया गया था. शेष ईंटें अयोध्या में वीएचपी की मंदिर कार्यशाला में लगभग 30 साल से पड़ी हैं."
अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर के लिए 2,100 किलोग्राम वजन का घंटा बनाया गया है. IANS ने बताया कि इस विशाल घंटे को इटावा जिले के जलेसर में एक मुस्लिम शिल्पकार इकबाल ने तैयार किया है. घंटा लगभग 6 फीट लम्बा और 5 फीट चौड़ा है. घंटे की डिजाइनिंग और फिनिशिंग इकबाल ने की थी. इस घंटे की औसत लागत लगभग 10 से 12 लाख रुपये है.
आईएएनएस के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अगले साल अप्रैल में राम नवमी से शुरू होने की संभावना है. राम नवमी, जो भगवान राम के जन्म का उत्सव है, 2 अप्रैल 2020 को पड़ता है.
वीएचपी जल्द ही मंदिर निर्माण और फंड जुटाने के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए 'मार्गदर्शी मंडल' की बैठक आयोजित करने की योजना बना रहा है.
(पीटीआई, आईएएनएस से इनपुट्स के साथ)
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