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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदूवादी संगठनों के बढ़ते दबाव के बीच बीजेपी के दो केंद्रीय मंत्रियों, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने मंगलवार को इस मुद्दे पर लोगों से धैर्य रखने की अपील की है. दोनों ने 'आपसी सहमति' से मंदिर निर्माण की वकालत की है.
नितिन गडकरी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आपसी सहमति से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये कोई सांप्रदायिक या धार्मिक मुद्दा नहीं है. वहीं बीजेपी संसदीय पार्टी की बैठक में कुछ सांसदों ने जब इस मुद्दे पर सरकार का रुख जानना चाहा, तो गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें धीरज रखने को कहा.
उत्तर प्रदेश से सांसद रवींद्र कुशवाहा, हरिनारायण राजभर और कुछ अन्य सांसदों ने इस मुद्दे को तब उठाया, जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह पार्टी सांसदों को संबोधित कर रहे थे.
बीजेपी संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह मौजूद नहीं थे.
सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने सांसदों से कहा कि यह सभी की इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो. उन्होंने सभी से धैर्य बनाए रखने की अपील की.
हालांकि बीजेपी का मानना है कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए, लेकिन उसने इसके लिये कानून लाने पर स्थिति साफ नहीं की है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी इसके लिये कानून बनाने पर जोर दिया है.
गडकरी ने ‘आज तक' के एक प्रोग्राम में कहा, ‘‘अयोध्या का मुद्दा सांप्रदायिक नहीं है और धार्मिक भी नहीं है. भगवान राम हमारे इतिहास, संस्कृति और धरोहर के प्रतीक हैं. यह साबित हो गया है कि वहां मंदिर था. अगर हिंदुस्तान में जन्मभूमि पर राम मंदिर नहीं बनाया जा सकता, तो कहां बनेगा? करोड़ों लोगों की भावनाएं और कामना है कि वहां राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए.''
गडकरी ने आगे कहा, ‘‘इसके तीन रास्ते हैं. मामला अदालत में है. आपसी सहमति से यह हो सकता है या संसद में दो-तिहाई बहुमत से फैसला हो सकता है. लेकिन मेरा मानना है कि यह आपसी सहमति से होना चाहिए. हमारी भावना ‘सर्वधर्म समभाव' की है.''
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