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रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट (Ram Mandir Trust) के सदस्यों ने जमीन खरीद घोटाले के आरोपों (land deal allegations) में खुद को क्लीन चिट दे दी है. ट्रस्ट के सदस्यों ने मीडिया से बातचीत के दौरान दावा किया कि 'एक्सपर्ट्स की एक टीम ने जमीन खरीद से जुड़े सभी दस्तावेज देखें हैं' और किसी तरह की अनियमितताओं का 'सबूत नहीं मिला' है.
ट्रस्ट सदस्यों की तीन दिनों की बैठक के बाद ट्रेजरर गोविंद देव गिरी ने कहा कि रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट किसी तरह के 'मीडिया ट्रायल' में शामिल नहीं होगा और सिर्फ अथॉरिटीज को ही जवाब देगा.
गोविंद देव गिरी ने कहा कि पिछले 15-20 दिनों में राम मंदिर निर्माण में बाधा डालने की कुछ घटनाएं हुई हैं. गिरी ने कहा, "कुछ राजनीतिक और तथाकथित धार्मिक लोगों ने कहा कि घोटाला हुआ है. मुझे कई फोन आए जिन्होंने ट्रस्ट में विश्वास जताया और मामले को देखने को कहा."
गिरी ने कहा, "जांच के बाद हम कह सकते हैं कि जमीन सौदे में कुछ गैरकानूनी नहीं हुआ. सभी जमीन बाजार के दाम पर खरीदी गई हैं." गिरी ने आरोप लगाने वालों को चुनौती देते हुए कहा कि 'अगर वो जमीन इससे कम दाम में खरीद सकते हैं तो हम उनसे जमीन खरीदने को तैयार हैं.'
ट्रस्ट से सबूत मांगने पर गिरी ने कहा कि 'हम मीडिया ट्रायल में नहीं जाएंगे, लेकिन कोई अथॉरिटी पूछेगी तो हम उन्हें सबूत देंगे.'
गिरी ने कहा, "हम लोगों से अपील करेंगे कि राजनीतिक एजेंडा रखने वालों और राष्ट्रवादी विचारों को कुचलने वालों पर विश्वास न करें."
हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस डील के दिन ही ट्रस्ट ने पाठक दंपति से एक और जमीन का सौदा किया था. ये डील करीब 8 करोड़ में हुई थी. ट्रस्ट ने इस सौदे पर अब तक कुछ नहीं कहा है.
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