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बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने हाल ही में चेतावनी भरे लहजे में बौद्ध धर्म अपनाने की बात कही है. उन्होंने सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर बीजेपी ने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए अपनी सोच नहीं बदली तो वो हिन्दू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लेंगी.
इस दौरान मायावती ने भीमराव आंबेडकर का भी जिक्र किया, जिन्होंने अपने निधन से करीब दो महीने पहले साल 1956 में हिन्दू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लिया था. आंबेडकर के उस कदम के बाद से लेकर आजतक दलितों का बौद्ध धर्म अपनाना तो जारी है लेकिन हाल के दशक में दलितों के बौद्ध धर्म में परिवर्तन की दर कम हुई है.
आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में बौद्ध धर्म अपनाया था. कहा जा सकता है कि धर्म परिवर्तन आंबेडकर का एक राजनीतिक संकेत भी था. मध्य प्रदेश के एक दलित परिवार में जन्मे आंबेडकर ने छूआछत का अभिशाप बचपन से ही झेला था.
उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाने से कई साल पहले ही कह दिया था- 'मैं हिंदू पैदा तो हुआ हूं, लेकिन हिंदू मरूंगा नहीं'. आंबेडकर ने अपनी 'प्रतिज्ञा' को साल 1956 में पूरा किया. इसी के साथ शुरुआत हुई दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने की.
इंडिया स्पेंड की जून, 2017 में जारी एक रिपोर्ट से इस बात की तस्दीक मिलती है कि बौद्ध धर्म अपनाने का सिलसिला तो जारी है लेकिन पिछले दशक में परिवर्तन की दर में काफी कमी आई है.
जनगणना के आंकड़े बताते हैं, जहां साल 1991-2001 के बीच बौद्धों की संख्या में 24.53 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, वो 2001-2011 के बीच घटकर 6.13 फीसदी रह गई. बता दें कि देश में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की कुल संख्या करीब 85 लाख है. जो देश की जनसंख्या का 0.8 फीसदी है.
खास बात ये है कि सबसे ज्यादा गिरावट जिन राज्यों में दर्ज की गई है उनमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है, मायावती इस राज्य की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. यूपी में साल 2001 से 2011 के बीच बौद्ध धर्म में परिवर्तित होने वाले लोगों की संख्या में करीब 29 फीसदी की गिरावट आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा बौद्ध धर्म में परिवर्तित होने वाले लोगों की संख्या महाराष्ट्र में हैं, दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल है वहीं तीसरे स्थान पर यूपी का नंबर आता है. वहीं कुल बौद्धों की बात करें तो देश के 77 फीसदी बौद्ध सिर्फ महाराष्ट्र में रहते हैं.
दलितों के बौद्ध धर्म में परिवर्तन को अक्सर विरोध के तरीके के तौर पर देखा जाता है. इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट कहती है हर बार जब दलित आंदोलनों को धार मिली है तब-तब बौद्ध धर्म अपनाने की दर में इजाफा देखने को मिला है.
बीएसपी ने इसे ध्यान में रखते हुए अपनी सरकार के दौरान गौतम बुद्ध से जुड़े प्रतीकों (कॉलेज, पार्क, नामकरण) के निर्माण और उनके रख-रखाव पर जोर दिया.
जानकार मानते हैं कि इन सबके बावजूद दलितों में ये डर समय-समय पर पनपता है कि धर्म परिवर्तन का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक हथियार के तौर पर तो नहीं किया जा रहा है? और इसी डर का असर बौद्ध धर्म के अपनाने की दर पर दिखता है.
(DATA SOURCE: इंडिया स्पेंड\ सेंसस इंडिया)
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