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हालही में सीमा पर तैनात बीएसएफ के एक जवान ने वीडियो जारी कर देशवासियों को सैनिकों को मिलने वाले खाने की जानकारी दी. जवान ने दावा कि सैनिकों को खाने के नाम पर नमक-हल्दी का घोल (दाल) और जली हुई रोटियां मिलती है. जवान ने अपने अफसरों पर राशन बेच खाने का भी आरोप लगाया.
अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर जवान को इस तरह अपने ही अफसरों के खिलाफ हल्ला बोल करने की जरूरत क्यों पड़ी? इसके लिए सबसे पहले ये जानने की जरूरत है कि अर्द्ध सैनिक बल के जवानों को फूड अलाउंस के नाम पर कितने रुपये मिलते हैं?
साल 2014 में जब मोदी सरकार आई तो सेंट्रल पैरा मिलेट्री फोर्सेज के डेली राशन अलाउंस में 12 फीसदी की बढोतरी की गई. जिसके बाद सैनिकों को खाने के लिए मिलने वाला भत्ता 85.96 रुपये से बढ़कर 95.52 रुपये प्रतिदिन हो गया.
गौरतलब है कि यह बढोतरी लंबे समय से चली आ रही पैरा मिलेट्री फोर्सेज की मांग पर की गई थी, जिसमें बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, दिल्ली पुलिस और आईबी सभी शामिल हैं. राशन अलाउंस के नाम पर पैरामिलेट्री फोर्सेज और आर्मी को बराबर ही पैसा मिलता है.
साल 2011 में रक्षा मंत्रालय ने राशन की मात्रा में भी बढोतरी की थी. इसके तहत मांसाहारी जवानों को खाने में मिलने वाले चिकन या मटन की मात्रा 110 ग्राम से बढ़ाकर 180 ग्राम प्रति जवान कर दी गई थी. लेकिन सियाचिन और कारगिल जैसे इलाकों में तैनात जवानों के लिए विशेष खाने की व्यवस्था की गई थी.
एक आंकड़े के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय जवानों के राशन पर सालाना 1600 करोड़ रुपये खर्च करती है.
अमेरिकी सेना की वेबसाइट के मुताबिक, सेना के हर जवान को हर महीने 200 डॉलर फूड अलाउंस मिलता है. इसके अलावा आर्मी पोस्ट पर रहने वाले सेना के जवानों को घर और खाना मुफ्त मिलता है. वहीं आर्मी पोस्ट से दूर तैनात रहने वाले जवानों को हाउसिंग एंड फू़ड अलाउंस भी मिलता है
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