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लॉकडाउन के दौर में उत्तर प्रदेश में करीब साढ़े तीन करोड़ मजदूरों और गरीबों को बायोमैट्रिक के जरिए राशन बंटना शुरू हो गया है. सभी ग्राहकों को बायोमैट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाने के बाद ही गेहूं और चावल दिया जा रहा है. हालांकि बायोमैट्रिक मशीन से कोरोना का संक्रमण देशभर में फैलने की आशंका के चलते कई कॉरपोरेटट कंपनियों और सरकारी ऑफिसों में तीन हफ्ते पहले ही इसपर रोक लगा दी थी.
कोरोना के खतरे को देखते हुए राशन विक्रेताओं ने प्रशासन और सरकार से बगैर बायोमैट्रिक ही राशन बांटने की मांग की थी. लेकिन उनकी मांग खारिज हो गई. अब उन्हें खतरे के बावजूद बायोमैट्रिक के जरिए ही राशन बांटना पड़ रहा है. यूपी में बरेली के कुछ राशन विक्रेताओं ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की है.
जानलेवा कोरोनावायरस से बचने के लिए कुछ एहतियात बरतना बहुत ही जरूरी है. एक सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरा हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर या साबुन का इस्तेमाल. वायरस हाथों से होता हुआ मुंह और नाक के संपर्क में आने के बाद व्यक्ति को बीमार बनाता है. लेकिन राशन वितरण के समय सरकार ने इसकी ओर ध्यान नहीं दिया है.
बरेली के एक राशन विक्रेता राहुल ने सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए क्विंट से यहां तक कह दिया कि अब वह कल से राशन नहीं बाटेंगे.
वहीं कुछ राशन विक्रेताओं ने ग्राहकों और अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खुद ही सैनिटाइजर और साबुन का इंतजाम कर लिया.
राशन विक्रेता इमरानी बी के पति ने कहा, "हम सेफ्टी के लिए पहले हाथ धुलवाते हैं फिर बायोमैट्रिक मशीन पर अंगूठा लगवाते हैं. सभी लोगों को 1-1 मीटर की दूरी पर खड़ा करते हैं." हालांकि उन्होंने ये भी शिकायत की कि उन्होंने सरकार से बायोमैट्रिक मशीन हटाने के लिए कहा था, लेकिन सरकार ने उनकी बात नहीं मानी.
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