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रविदास मंदिरः दलितों को मिला मुस्लिम समूहों का साथ, 15 को प्रदर्शन

मुस्लिम समाज ने कहा- रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए हम जो भी कर सकते हैं, करेंगे. 

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रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर प्रदर्शन करती महिलाएं
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रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर प्रदर्शन करती महिलाएं
(फाइल फोटोः PTI)

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दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में रविदास मंदिर तोड़े जाने के बाद से दलित समाज में भारी आक्रोश है. बीते 21 अगस्त को दलित समाज ने रविदास मंदिर तोड़े जाने के विरोध में राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया था. अब इस मुद्दे पर दलित समाज को कई मुस्लिम संगठनों का भी समर्थन मिला है. लिहाजा, आने वाली 15 सितंबर को दलित और मुस्लिम समाज मिलकर रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर दिल्ली में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे.

बता दें, दिल्ली डेवलेपमेंट अथॉरिटी (DDA) ने बीते 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रविदास मंदिर ढहा दिया था.

21 अगस्त को दिल्ली में हुआ था हिंसक प्रदर्शन

बीते 21 अगस्त को राजधानी दिल्ली में दलित समाज ने रविदास मंदिर तोड़े जाने के विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था. बाद में ये प्रदर्शन हिंसक हो गया था. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा था.

हिंसक प्रदर्शन के लिए दिल्ली पुलिस ने दलित युवाओं के संगठन भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर समेत 95 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था.

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राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लखनऊ की टीले वाली मस्जिद के इमाम, मौलाना फजलुल मनन शाही ने कहा-

“हम मंदिर के विध्वंस से होने वाले दर्द को महसूस कर सकते हैं क्योंकि हम इसी तरह के अनुभव से गुजरे हैं. हम अपने दलित भाइयों के दुःख को साझा करते हैं. हम मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर प्रदर्शन करेंगे.”

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती ऐय्याज अरशद कासमी ने कहा, ‘अगर सरकार मंदिर का पुनर्निर्माण नहीं कराती है, तो हम 15 सितंबर को सड़कों पर उतरेंगे. हम जो भी कर सकते हैं, करेंगे. हम कानून का भी सहारा लेंगे.’

अंजुमन-ए-हैदरी के महासचिव सैय्यद बहादुर अब्बास नकवी ने आरोप लगाया कि, "जहां मंदिर खड़ा था, उस भूमि के अधिग्रहण के बारे में फर्जी दस्तावेज पेश करके सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया."

उन्होंने दावा किया-

“कानून के अनुसार, किसी भी धार्मिक संरचना से संबंधित भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है. सरकार ने 1986 में इस भूमि का अधिग्रहण किया था. यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि मंदिर 1986 से पहले से अस्तित्व में था.”

नकवी ने कहा, "मुस्लिम और दलित समुदाय इस मुद्दे पर एक साथ खड़े हैं. हम मंदिर को उसके मूल स्थान पर बनाने की मांग करते हैं और चंद्रशेखर और उनके समर्थकों, जिन्हें झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए."

उन्होंने कहा कि मुस्लिम और दलित समाज मिलकर तुगलकाबाद में उस जगह पर शांतिपूर्ण मार्च निकालेगा, जहां मंदिर था.

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