Home News India RBI बोर्ड की मैराथन बैठक में क्या-क्या हुआ, जानिए 10 बड़ी बातें
RBI बोर्ड की मैराथन बैठक में क्या-क्या हुआ, जानिए 10 बड़ी बातें
आरबीआई और सरकार के बीच चल रही तकरार के बीच 11 नवंबर को एक अहम बैठक हुई, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई
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RBI बोर्ड की बैठक में क्या-क्या हुआ, जानिए 10 बड़ी बातें
(फोटो: AP)
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आरबीआई और सरकार के बीच चल रहे तकरार से निकलने का अब रास्ता निकाला जा रहा है. इस मसले का हल निकालने के लिए 19 नवंबर को RBI बोर्ड की मैराथन बैठक हुई. करीब 9 घंटे चली इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर बातचीत की गई. इस बैठक में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार और स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति ने सभी विवादित मुद्दों पर आमने-सामने बातचीत की.
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इस बैठक में केंद्रीय बैंक बोर्ड ने सुझाव देते हुए कहा कि आरबीआई को लघु उद्योगों (एमएसएमई) को राहत देने के लिए कर्ज सीमा 25 करोड़ तक बढ़ानी चाहिए.
इस बैठक में बोर्ड ने आरबीआई से फाइनेंशियल सेक्टर में लिक्विडिटी बढ़ाने को भी कहा है.
इस बैठक में रिजर्व बैंक के पास मौजूद 9.69 लाख करोड़ रुपये के रिजर्व पर भी चर्चा हुई. वित्त मंत्रालय चाहता है कि इस 9.69 लाख करोड़ रुपये के रिजर्व की सीमा को वैश्विक स्तर के हिसाब से कम किया जाना चाहिए.
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इस मामले पर ट्वीट करते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि मुझे इस बात से खुशी है कि सरकार ने पीछे हटकर आरबीआई की आजादी को स्वीकारा है. इसके बाद दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, इसमें कोई नुकसान नहीं है कि रिजर्व के इस मामले पर एक कमिटी गठित होगी. इससे कम से कम मई 2019 तक आरबीआई के रिजर्व सुरक्षित तो रह पाएंगे.
सरकार की तरफ से केंद्रीय बैंक पर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को अधिक नकदी उपलब्ध करवाने को लेकर भी दबाव बनाया गया. लेकिन इस तरह के संकेत हैं कि रिजर्व बैंक एनबीएफसी को नकदी देने के मुद्दे पर सहमत नहीं है.
आज हुई इस बैठक में तय किया गया है कि PCA के नियम आसान करने के लिए एक कमिटी गठित की जाएगी. बता दें कि पीसीए के तहत आने वाले बैंकों पर लोन देने के लिए कड़ी शर्तें लगाई गई हैं. फिलहाल 21 में से 11 बैंक इसके दायरे में हैं.
पिछले महीने रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि सरकार को केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता बढ़ानी चाहिए. जो सरकार इसका ध्यान नहीं रखती उसे नुकसान उठाना पड़ता है.
सितंबर और अक्टूबर के महीने में आरबीआई और सरकार के बीच असली विवाद नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए फंडिंग को लेकर हुआ था.
इसके बाद सरकार की ओर से आरबीआई को तीन लेटर भी लिखे गए थे और ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7 लागू कर सकती है.