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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच चल रही तनातनी पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उर्जित ने सरकार के साथ टकराव से जुड़े मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं की.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उर्जित से सरकार की ओर से अब तक कभी नहीं इस्तेमाल की गई रिवर्ज बैंक अधिनियम की धारा-7 के तहत आरबीआई को निर्देश दिए जाने और रिजर्व बैंक की कमाई में सरकार के हिस्से को लेकर नियम बनाने जैसे मुद्दों पर सवाल किए गए. लेकिन इन सवालों पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
उर्जित पटेल ने कहा, "मैं इन सवालों से बचना चाहूंगा, क्योंकि हम यहां मौद्रिक नीति समीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं." उन्होंने आरबीआई की स्वायत्ता के विषय में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के सार्वजनिक रुख और रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी प्रबंधन नियम के बारे में पूछे गए सवालों को इसी तरीके से टाल दिया.
रिवर्ज बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली बैठक में केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दर रेपो को पहले के स्तर 6.5 फीसदी पर ही बरकार रखने का फैसला किया गया है. केंद्रीय बैंक के सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने आरबीआई को तीन पत्र लिखे थे. इनमें करीब एक दर्जन मांगें रखी गई थीं. इन पत्रों का एक हफ्ते के अंदर जवाब दे दिया गया था.
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