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रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की मीटिंग सोमवार (19 नवंबर) को मुंबई में होगी. सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच कई मुद्दों को लेकर जारी विवाद के बीच ये मीटिंग बुलाई गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की होने वाली इस मीटिंग में दोनों पक्ष कुछ मुद्दों पर आपसी सहमति पर पहुंचने के पक्ष में हैं.
मीटिंग में वित्त मंत्रालय के नॉमिनेटेड डॉयरेक्टर, कुछ इंडिपेंडेंट डॉयरेक्टर, गवर्नर उर्जित पटेल और उनकी टीम, MSME को कर्ज से लेकर RBI के पास रखे फंड पर अपनी बात रख सकते हैं.
माना जा रहा है गवर्नर पटेल एनपीए को लेकर रिजर्व बैंक की कड़ी नीतियों का बचाव कर सकते हैं.
एनपीए के प्रावधानों को लेकर गवर्नर पटेल के साथ में चार डिप्टी गवर्नर आरबीआई का पक्ष रखेंगे. डॉयरेक्टोरियल बोर्ड की मीटिंग पहले से तय होती है और मीटिंग का एजेंडा भी काफी पहले तय कर लिया जाता है. हालांकि, अध्यक्ष की अनुमति से डॉयरेक्टोरियल बोर्ड के सदस्य तय एजेंडे से इतर दूसरे मुद्दे भी उठा सकते हैं.
सरकार की ओर से नामित सदस्यों में वित्त मंत्रालय के दो अधिकारी इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी सुभाष चंद्र गर्ग और वित्तीय सेवाओं के सेक्रेटरी राजीव कुमार शामिल हैं. सरकार और रिजर्व बैंक, बैंकों में पीसीए की रूपरेखा और एमएसएमई क्षेत्र को लोन देने के प्रावधानों में ढील को लेकर आपसी सहमति से किसी समाधान पर पहुंचने के पक्ष में हैं.
यदि इस मीटिंग में दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई, तो अगले कुछ हफ्ते में पीसीए पर सहमति बन जाएगी. इसके तहत कुछ बैंक चालू वित्त वर्ष के अंत तक इस ढांचे के दायरे से बाहर आ सकते हैं. फिलहाल 21 सार्वजनिक बैंकों में से 11 बैंक पीसीए के दायरे में हैं. जिससे उन पर नए कर्ज देने को लेकर कड़ी शर्तें लागू हैं.
इन बैंकों में इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, कारपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक आफ इंडिया, सैंट्रल बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, आरिएंटल बैंक आफ कामर्स, देना बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र शामिल हैं.
(इनपुट: भाषा)
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