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‘द क्विंट’ की इस स्पेशल वीडियो रिपोर्ट में आपने देखा कि कैसे फरवरी, 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने तीव्र कार्यवाही के नाम पर कई एक्टिव आंदोलनकारियों पर देशद्रोह, सरकार के खिलाफ षड्यंत्र और आतंकवादी गतिविधियां करने का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया.
इन गिरफ्तारियों से सूबे का माहौल गर्म है और इस बार के जाट आंदोलन में जाटों की सबसे बड़ी मांग इन युवकों को छुड़ाना बना हुआ है.
हरियाणा का सूखा मैदानी इलाका, 45 डिग्री को छूता तापमान और पेड़ों की छाया में बैठे जाट आंदोलनकारी. हरियाणा के 13 जिलों में जाट आरक्षण संघर्ष समिति और प्रशासन की सहमति के बाद झज्जर, सोनीपत, रोहतक, पानीपत और हिसार जैसे प्रमुख शहरों से दूर कुछ पॉइंट तय किए गए हैं, जहां ये आंदोलनकारी डटे हुए हैं. दिन में आंदोलनकारियों के बीच चौपड़ का खेल चलता है और शर्बत बांटा जाता है.
सूबे में पैरामिलिट्री की 55 कंपनियां तैनात हैं और 8 जिलों समेत दिल्ली से सटे कई इलाकों में धारा 144 लागू है. रोहतक और सोनीपत में मोबाइल इंटरनेट सेवा और एक साथ कई एसएमएस भेजने की सुविधा पर पाबंदी है. राज्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल लाइन के दोनों तरफ एक किलोमीटर तक भी धारा 144 लागू है. ऐसे में जाट आंदोलनकारियों समेत जाट आरक्षण का विरोध कर रहे गुटों पर भी पुलिस की खास नजर है.
हरियाणा सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि आंदोलन में शामिल हो रहे युवकों की एक लिस्ट बनाई जाए. सूत्रों की मानें तो इस लिस्ट में जिन युवकों का नाम होगा, उन पर हरियाणा सरकार किसी भी सरकारी भर्ती में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाएगी.
साथ ही जाट नेताओं की संपत्ति का ब्यौरा तैयार किया गया है और कहा गया है कि आंदोलन के दौरान किसी भी किस्म की हिंसा होती है, तो इन नेताओं की संपत्ति कुर्क करके नुकसान की भरपाई की जाएगी. इन आदेशों को लेकर लोगों में भय है, जिसका असर आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या पर साफ देखा जा सकता है.
जिला स्तर पर इस आंदोलन को संभाल रहे जाट प्रतिनिधियों का दावा है कि इस बार त्यागी, रोड़, बिश्नोई, मुसलमानों समेत दलित संगठन भी जाटों के इस आंदोलन के साथ हैं. वहीं हरियाणा की कुछ बड़ी खाप पंचायतें इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं ले रही हैं, जिससे जाट समाज के एक बड़े हिस्से में 5 जून से शुरू हुए इस आंदोलन को लेकर संशय का भाव है.
आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी की भी मांग की जा रही है. साथ ही जाट चाहते हैं कि कोर्ट में अटके जाट आरक्षण के मामले की पैरवी भी हरियाणा सरकार मजबूती से करे.
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