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जाट आरक्षण आंदोलन की भीड़ को इस तरह ‘मैनेज’ कर लिया खट्टर सरकार ने

क्‍वि‍ंंट एक्‍सक्‍लूसिव: अभी भी जाट आंदोलन में बहुत आग है, भले ही ऊपर से इसमें लोगों की भारी भीड़ न दिखती हो.

प्रशांत चाहल
भारत
Updated:
(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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‘द क्विंट’ की इस स्पेशल वीडियो रिपोर्ट में आपने देखा कि कैसे फरवरी, 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने तीव्र कार्यवाही के नाम पर कई एक्टिव आंदोलनकारियों पर देशद्रोह, सरकार के खिलाफ षड्यंत्र और आतंकवादी गतिविधियां करने का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया.

इन गिरफ्तारियों से सूबे का माहौल गर्म है और इस बार के जाट आंदोलन में जाटों की सबसे बड़ी मांग इन युवकों को छुड़ाना बना हुआ है.

इनमें से ज्यादातर मामलों में अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है.

इस बार शहरों से दूर डटे हैं जाट

हरियाणा का सूखा मैदानी इलाका, 45 डिग्री को छूता तापमान और पेड़ों की छाया में बैठे जाट आंदोलनकारी. हरियाणा के 13 जिलों में जाट आरक्षण संघर्ष समिति और प्रशासन की सहमति के बाद झज्जर, सोनीपत, रोहतक, पानीपत और हिसार जैसे प्रमुख शहरों से दूर कुछ पॉइंट तय किए गए हैं, जहां ये आंदोलनकारी डटे हुए हैं. दिन में आंदोलनकारियों के बीच चौपड़ का खेल चलता है और शर्बत बांटा जाता है.

दोपहर के खाने के लिए धरना स्थलों पर महिलाएं व हलवाई जुटे हुए हैं. वहीं शहरों की सीमा रखा रहे पुलिसवाले और पैरामिलिट्री के जवान भीषण गर्मी में कोल्ड ड्रिंक पीकर दिन गुजार रहे हैं.
(फोटो: पीटीआई)

सूबे में पैरामिलिट्री की 55 कंपनियां तैनात हैं और 8 जिलों समेत दिल्ली से सटे कई इलाकों में धारा 144 लागू है. रोहतक और सोनीपत में मोबाइल इंटरनेट सेवा और एक साथ कई एसएमएस भेजने की सुविधा पर पाबंदी है. राज्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल लाइन के दोनों तरफ एक किलोमीटर तक भी धारा 144 लागू है. ऐसे में जाट आंदोलनकारियों समेत जाट आरक्षण का विरोध कर रहे गुटों पर भी पुलिस की खास नजर है.

प्रशासन ने जारी किए कुछ सख्त आदेश

हरियाणा सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि आंदोलन में शामिल हो रहे युवकों की एक लिस्ट बनाई जाए. सूत्रों की मानें तो इस लिस्ट में जिन युवकों का नाम होगा, उन पर हरियाणा सरकार किसी भी सरकारी भर्ती में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाएगी.

साथ ही जाट नेताओं की संपत्ति का ब्यौरा तैयार किया गया है और कहा गया है कि आंदोलन के दौरान किसी भी किस्म की हिंसा होती है, तो इन नेताओं की संपत्ति कुर्क करके नुकसान की भरपाई की जाएगी. इन आदेशों को लेकर लोगों में भय है, जिसका असर आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या पर साफ देखा जा सकता है.

गेहूं की फसल काटने के बाद हरियाणा के खेतिहर कहे जाने वाले जाट इन दिनों खेती के काम से फ्री हैं. (फोटो: PTI)

जाटों की मांग और आंदोलन का नया प्रारूप

जिला स्तर पर इस आंदोलन को संभाल रहे जाट प्रतिनिधियों का दावा है कि इस बार त्यागी, रोड़, बिश्नोई, मुसलमानों समेत दलित संगठन भी जाटों के इस आंदोलन के साथ हैं. वहीं हरियाणा की कुछ बड़ी खाप पंचायतें इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं ले रही हैं, जिससे जाट समाज के एक बड़े हिस्से में 5 जून से शुरू हुए इस आंदोलन को लेकर संशय का भाव है.

युवाओं के आंदोलन से दूर होने पर महिलाएं उनकी जगह ले रही हैं. (फोटो: पीटीआई)
इस बार के आंदोलन में जाटों की सबसे बड़ी मांग आरक्षण के साथ-साथ फरवरी में हुए आंदोलन के दौरान जाट युवाओं पर दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लिए जाने की भी है. आंदोलनकारियों का कहना है कि आंदोलन करने के जुर्म में गिरफ्तार किए गए युवाओं को रिहा किया जाए.

आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी की भी मांग की जा रही है. साथ ही जाट चाहते हैं कि कोर्ट में अटके जाट आरक्षण के मामले की पैरवी भी हरियाणा सरकार मजबूती से करे.

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Published: 08 Jun 2016,08:52 PM IST

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