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लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई, 2019 में होने वाले हैं. लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि आम चुनावों को पहले भी कराया जा सकता है. 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के कैंपेन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योर राजेश जैन इन अटकलों के कई कारण बता रहे हैं.
नई दिशा में लिखे गए एक आर्टिकल में राजेश जैन कहते हैं कि सत्ताधारी बीजेपी को पता है कि 2014 लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहरा पाना बेहद मुश्किल है. साथ ही इस साल के अंत में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों में अगर बीजेपी को झटका लगता है तो इसका असर लोकसभा चुनाव पर दिख सकता है. बीजेपी अपने 3.5 सालों में कई वादों पर खरी नहीं उतर सकी है. खासकर किसानों और रोजगार के मुद्दे पर गहरा असंतोष है, और बढ़ते समय के साथ ये गुस्सा और गहराता जा रहा है. ऐसे में चुनाव पहले ही हो जाए तो ये बीजेपी के लिए फायदे का सौदा होगा. समय के साथ-साथ अंसतोष बढ़ता ही जाएगा.
राजेश जैन का मानना है कि चुनाव अगर समय से पहले होता है तो ये विरोधी पार्टियों के लिए झटका साबित होगा. 100 दिनों के भीतर चुनाव होने के हालात में सत्ताधारी पार्टी हर लिहाज से विपक्षी पार्टी से ज्यादा मजबूत दिख रही है. वहीं अगर इसे 2019 के लिए टाला गया तो कांग्रेस के लिए गठबंधन और नए साझेदार बनाने का पूरा वक्त होगा.
राजेश जैन ने हालिया घटनाओं की अहमियत को बताने की भी कोशिश की है. उनका कहना है कि अभी कुछ दिनों के भीतर ही कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे ये संकेत मिलता है कि चुनाव समय से पहले हो सकते हैं. पीएम मोदी के बैक टू बैक इंटरव्यू का भी उदाहरण वो दे रहे हैं. जैन का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के 3.5 साल में किसी इंटरव्यू में कभी-कभार ही नजर आए, अब अचानक से 2 दिनों में 2 इंटरव्यू दे डाले. इतना ही नहीं डावोस से लेकर आसियान तक मोदी सरकार के बड़े मंत्री अपनी सरकार का पक्ष पुरजोर तरीके से रखते हुए नजर आ रहे हैं.
राजेश जैन अपने आर्टिकल में बजट की टाइमिंग को भी चुनाव से जोड़ृते हुए दिखे. उनका मानना है कि 1 फरवरी को पेश होने जा रहे बजट में हर वर्ग को पीएम मोदी का तोहफा मिल सकता है. एक अनुमान के मुताबिक, लोगों के दिमाग में राजनीतिक और आर्थिक खबरें 90 दिनों तक बनी रहती हैं, ऐसे में अगर बजट से लोगों को 'फील गुड' होता है तो चुनाव में इसे अच्छी तरह से भुनाया जा सकता है. हाल ही में पीएम मोदी ने भी अपने इंटरव्यू में चुनावों को एक साथ कराने की बात की थी. ऐसे में मार्च-अप्रैल, 2018 में आम चुनाव होते हैं तो इसी के साथ कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु जैसे राज्यों के चुनाव भी हो सकते हैं.
('नई दिशा' में पब्लिश आर्टिकल के आधार पर. आर्टिकल के लेखक राजेश जैन टेक्नॉलजी एंटरप्रेन्योर हैं, उनका पॉलिटिकल वेन्चर Niti Digital, 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के इलेक्शन कैंपेन से जुड़ा था.)
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