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वीडियो एडिटर: पुर्णेंदु प्रीतम
कैमरा पर्सन: मुकुल भंडारी
सियासी पार्टियों को पैसा कौन देता है? जैसे इलेक्टोरल बॉन्ड का सस्पेंस काफी नहीं था, चुनावी चंदे पर तीन डराने वाली खबरें आई हैं. पहली- रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी को टेरर फंडिंग की आरोपी एक कंपनी से बड़ा चंदा मिला. दूसरी- ये कंपनी पीएमसी बैंक घोटाले से भी जुड़ी है और तीसरी- बीजेपी को ही टेरर फंडिंग करने वाली एक और कंपनी से चंदा मिला.
कौन हैं ये दोनों कंपनियां, कितना पैसा मिला? इनपर किस सरगना को पैसा देने का आरोप है, पीएमसी बैंक घोटाले से क्या कनेक्शन है? पूरी कहानी विस्तार से जानिए -
रिपोर्ट में कहा गया है, बीजेपी नियमित तौर पर कई चुनावी ट्रस्टों से बड़ा चंदा लेती रही है. ये ट्रस्ट कई कॉरपोरेट घरानों से जुड़े हुए हैं. किसी भी दूसरी कंपनी ने बीजेपी को इतनी धनराशि नहीं दी है, जितनी RKW ने दी है.
बता दें कि RKW कंपनी दिवालिया हो चुकी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड DHFL से जुड़ी हुई है. द क्विंट के पत्रकार आदित्य मेनन ने जब इन आरोपों की पड़ताल की तो एक नया ही मामला सामने आ गया. हाल फिलहाल में आपने पीएमसी बैंक घोटाले की खबरें खूब सुनी थी, जिसमें कई लोगों की जान भी गई. अब RKW कंपनी का पीएमसी बैंक स्कैम कनेक्शन क्या है.
दरअसल, RKW कंपनी के डायरेक्टर हैं धीरज वधावन. उनके चाचा हैं राकेश वधावन. राकेश वधावन के बेटे हैं सारंग वधावन. HDIL के वाइस-चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं सारंग वधावन. राकेश वधावन और सारंग वधावन को पीएमसी बैंक स्कैम में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था. ये लोग HDIL फैमिली से जुड़े हुए हैं.
रोहिणी सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी को मिले चंदे का विवाद महज आरकेडब्ल्यू तक ही नहीं है. ईडी ने इकबाल मिर्ची की संपत्तियां खरीदने के लिए सनब्लिंक रियल एस्टेट नाम की एक और कंपनी को आरोपी ठहराया है. सनब्लिंक रियल एस्टेट साझा डायरेक्टरशिप के जरिए एक अन्य कंपनी से जुड़ी है, जिसने बीजेपी को दो करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
अब जब ऐसे ऐसे आरोप लग रहे हैं तो कांग्रेस कैसे चुप रह सकती हैं. प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा,
कांग्रेस पार्टी ने एक ट्वीट में लिखा है,
जैसा कि पहले ही बताया गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड एक सस्पेंस का नाम है. पता नहीं चलता कि कौन किस पार्टी को कितना चंदा दे रहा है. सवाल ये है कि ऐसे चोरी छिपे चंदा लेने का कानूनी जुगाड़ करने वाली सियासत का क्या इससे भी मन नहीं भरा है जो टेरर फंडिंग करने वाली कंपनियों से भी गलबहियां चल रही हैं?
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