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‘चोट किसी को लगे,नुकसान देश का’- दिल्ली हिंसा पर क्या बोला विपक्ष?

कमोबेश सभी नेताओं ने हिंसा की कड़ी निंदा की. साथ ही साथ इसमें केद्र सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाया.

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‘चोट किसी को लगे,नुकसान देश का’- दिल्ली हिंसा पर क्या बोला विपक्ष?
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‘चोट किसी को लगे,नुकसान देश का’- दिल्ली हिंसा पर क्या बोला विपक्ष?
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गणतंत्र दिवस पर आयोजित किसानों का ट्रैक्टर मार्च में हिंसा से जुड़ी कई खबरें आईं. लाल किले पर पीले रंग का झंडा लहरा दिया गया. एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई औऱ कई जगहों पर पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की खबरें हैं. लाल किले पर प्रदर्शनकारियों का हंगामा काफी समय तक चलता रहा. बाद में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया कि प्रदर्शनकारियों के बीच असामाजिक तत्वों ने घुसपैठ की. किसान नेताओं का कहना है कि हिंसा करने वाले बाहरी तत्व थे. इस बीच राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, आम आदमी पार्टी की तरफ से भी कई प्रतिक्रियाएं आईं कमोबेश सबने हिंसा की कड़ी निंदा की. साथ ही साथ इसमें केद्र सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाया.

आइए जानते हैं कि किसने किसने क्या कहा-

हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है. चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा.. देशहित के लिए कृषि विरोधी कानून वापस लो!
राहुल गांधी
लाल किले पर तिरंगा है वहां किसी ने झंडा नही लहराया, लेकिन अलग जगह पर झंडा लहराया गया है. जो भी हुआ दुर्भाग्यपूर्ण हुआ. शांति कैसे स्थापित हो उसपर कदम उठाना चाहिए. लेकिन ये नौबत क्यों आई इस पर विचार होना चाहिए? किसानों को कानून हाथ में क्यों लेना पड़ा? किसानों को एंटी-नेशनल और खालिस्तानी कहना गलत है. उसी का रिएक्शन आज देखने को मिला है.आज हुए आंदोलन को नियंत्रण में रखने में केंद्र सरकार पूरी तरह से नाकाम रही.
शरद पवार
दिल्ली की सड़कों पर जो परेशान करने वाली और दर्दनाक घटनाएं हुई हैं, उससे मैं काफी परेशान हूं. इस स्थिति के लिए केंद्र का हमारे किसान भाइयों-बहनों की तरफ असंवेदनशील रवैया जिम्मेदार है. पहले, ये कानून किसानों को विश्वास में लिए बिना पास किए गए. और फिर देशभर में प्रदर्शन और पिछले दो महीने से दिल्ली के करीब किसानों की कैंपिंग के बाद भी सरकार ने इसे कैज़ुअल तरीके से संभाला. केंद्र को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और इन कानूनों को वापस लेना चाहिए.
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
पिछले दो महीनों से चल रहा किसानों का आंदोलन पूरे विश्व मे नहीं हुआ. लेकिन आज अचानक क्या हुआ? क्या सरकार इस दिन का इंतजार कर रही थी? किसानों के सब्र का बांध टूटने का? बाला साहेब ठाकरे हमेशा कहते थे कि कानून लोगों के लिए बनाए जाते हैं. अगर लोग ही खुश नहीं तो ये कानून किसके लिए हैं?
संजय राउत, शिवसेना
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली मे हिंसक घटनाओं की खबरें अत्यंत चिंताजनक है, लोकतंत्र मे हिंसा का कोई स्थान नहीं है. अहिंसा व शांति से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है.किसानों व जवानों ने भारत को हमेशा गौरवान्वित किया है. केंद्र सरकार तत्काल देश व किसान हित मे तीनों कृषि कानून वापिस ले.
सचिन पायलट
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण. मैंने शुरुआत से किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया है लेकिन मैं अराजकता नहीं देख सकता और गणतंत्र दिवस के दिन पवित्र तिरंगे के अलावा दूसरा कोई झंडा लाल किले पर नहीं फहराया जाना चाहिए.
शशि थरूर
आज प्रदर्शनों में हुई हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं. ये खेदजनक है कि केंद्र सरकार ने हालात बदतर होने दिया. दो महीने से ये प्रदर्शन शांतिपूर्वक चल रहा था. किसान नेताओं का कहना है कि हिंसा में शामिल लोग बाहरी तत्व थे. जिसने भी ये सब किया उसने आंदोलन को कमजोर करने के लिए ये सब किया है.
आम आदमी पार्टी
आंसू गैस और लाठीचार्ज अस्वीकार्य है. आखिर, दिल्ली पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चा में करार होने के बावजूद सरकार क्यों उकसा रही है. उन्हें शांतिपूर्वक ट्रैक्टर परेड जारी रखने देना चाहिए.
सीताराम येचुरी
दिल्ली में काफी चौंकाने वाले दृश्य, कुछ तत्वों की तरफ से हुई हिंसा अस्वीकार्य है. ये शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों की सद्भावना को नकार देगा. किसान नेताओं ने इस सबसे खुद को अलग कर दिया और ट्रैक्टर रैली को स्थगित कर दिया. मैं सभी असली किसानों से अपील करता हूं कि वो दिल्ली से बाहर निकलकर सीमाओं पर लौट जाएं.
अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री, पंजाब

गृहमंत्री की बैठक - रिपोर्ट

न्यूज एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने आपात बैठक बुलाई है. सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर चल रही इस उच्चस्तरीय बैठक में गृहसचिव सहित दिल्ली पुलिस के आला अफसर मौजूद हैं. इस अहम बैठक में राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर मंथन चल रहा है.

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Published: 26 Jan 2021,06:20 PM IST

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