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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए गाइडलाइन जारी की है. इसमें RBI ने लोन लेने वालों को लोन रीसेट करते वक्त फ्लोटिंग या फिक्स्ड ब्याज दरों का विकल्प देने के लिए कहा है. इसके अलावा RBI ने बैंकों और NBFC को समान मासिक किस्त (EMI), टेन्योर बढ़ाने और टेन्योर के दौरान किसी भी समय पूरी राशि या उसके एक हिस्से का पहले ही भुगतान करने का विकल्प देने के लिए भी कहा है.
इसके अलावा RBI ने अपनी गाइडलाइन में कहा कि
EMI में बढ़ोतरी या टेन्योर बढ़ाने या दोनों प्रक्रिया एक साथ चुनने का विकल्प दिया जाएगा.
लोन टेन्योर के दौरान किसी भी वक्त आंशिक या पूर्ण रूप से पूर्व भुगतान कर सकेंगे.
RBI ने अगस्त में एक नोटिफिकेशन में कहा था कि फौजदारी शुल्क/पूर्व-भुगतान जुर्माना मौजूदा निर्देशों के अधीन होगा.
RBI के इस कदम से होम लोन लेने वालों सहित सभी फ्लोटिंग रेट पर्सनल लोन लेने वालों पर असर पड़ेगा. बैंकों और NBFC को मौजूदा और नए लोन लेने वालों तक इन विकल्पों का विस्तार करने के लिए 31 दिसंबर, 2023 तक का समय मिलता है.
इसके अलावा RBI ने कहा कि
RBI ने कहा कि बाहरी बेंचमार्क लोन रेट (EBLR) व्यवस्था के तहत बाहरी बेंचमार्क से जुड़े लोन के मामले में, बैंकों को मौजूदा निर्देशों का पालन करना चाहिए और बेंचमार्क दर से लोन रेट में बदलाव के प्रसारण की निगरानी के लिए पर्याप्त जानकारी प्रणाली भी लगानी चाहिए.
इस कदम के पीछे की वजहों के बारे में बताते हुए RBI ने कहा कि EMI आधारित फ्लोटिंग रेट पर्सनल लोन की मंजूरी के समय, लोन देने वाली संस्थाओं को उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखना जरूरी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि विस्तार के लिए पर्याप्त हेडरूम/मार्जिन उपलब्ध है.
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