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Rohingya: भारत में कितने रोहिंग्या मुसलमान हैं,क्या भारत उनको शरणार्थी मानता है?

हरदीप सिंह पुरी के दावे और गृह मंत्रालय की सफाई- भारत में फिर गरमाया रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा

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Rohingya: भारत में कितने रोहिंग्या मुसलमान हैं,क्या भारत उनको शरणार्थी मानता है?

(फोटो-altered by Quint)

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भारत में एक बार फिर रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Refugees) का मामला सरगर्म हो चुका है. पहले एक तरफ केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी एक ट्वीट में दावा किया कि दिल्ली में मौजूद रोहिंग्या शरणार्थियों को EWS फ्लैटों में शिफ्ट किया जाएगा, उन्हें मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ चौबीसों घंटे दिल्ली पुलिस की सुरक्षा प्रदान की जाएगी. खबर खूब चली लेकिन शाम में फिर उनकी अपनी सरकार ने बयान का खंडन कर किया.

गृह मंत्रालय ने कहा कि "अवैध रोहिंग्या विदेशियों" के लिए इस तरह के किसी भी लाभ की घोषणा नहीं की गई है. अब मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बीजेपी नेता दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर रोहिंग्याओं को मुफ्त बिजली-पानी देने का आरोप लगाया है वहीं दिल्ली सरकार केंद्र को निशाने पर ले रही है.

ऐसे में सवाल है कि आखिर रोहिंग्या शरणार्थी हैं कौन और कहां से आए हैं. वे दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर क्यों हैं. भारत और खासकर राजधानी दिल्ली में इस समय कितने रोहिंग्या मौजूद हैं और भारत सरकार की नजर में उनकी कानूनी स्थिति क्या है? आइए इन्हीं सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करते हैं.

रोहिंग्या शरणार्थी हैं कौन और कहां से आए हैं?

रोहिंग्या मुसलमान मूलतः म्यांमार के रहने वाले हैं लेकिन वहां वे दशकों से हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं. म्यांमार से उनका सबसे बड़ा पलायन अगस्त 2017 में शुरू हुआ, जब म्यांमार के रखाइन राज्य में बड़ी सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. इस जघन्य हिंसा के बाद 700,000 से अधिक लोग - जिनमें से आधे बच्चे थे- को बांग्लादेश में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (UNHCR) के अनुसार, रखाइन में पूरे के पूरे गांवों को जला दिया गया, हजारों परिवार मारे गए या बिछड़ गए और बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ.

1982 के नागरिकता कानून के अनुसार म्यांमार की सरकार ने केवल 40,000 रोहिंग्याओं को अपने नागरिकों के रूप में मान्यता दी है. बाकी को वह "अवैध बंगाली" मानती है जो बांग्लादेश से आए हैं.
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कितने रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से बाहर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हुए?

बांग्लादेश और भारत सहित पड़ोसी देशों में म्यांमार से आए 980,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी और शरण चाहने वाले हैं. इनमें से लगभग 919,000 रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार क्षेत्र में बने शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. यह दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे घनी आबादी वाला शरणार्थी शिविर है.

रोहिंग्या शरणार्थियों ने थाईलैंड (92,000) और भारत (21,000) में भी शरण मांगी है. कुछ रोहिंग्या इंडोनेशिया, नेपाल और अन्य देशों में भी हैं.

भारत में कितने रोहिंग्या हैं?

UNHCR की मान्यता प्राप्त भारत में लगभग 16,000 रोहिंग्या शरणार्थी हैं. केंद्र सरकार का अनुमान है कि भारत में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों का आंकड़ा 40,000 से अधिक है, जिनमें से अधिकतर जम्मू और उसके आसपास के क्षेत्र में रहते हैं.

रोहिंग्या अधिकार कार्यकर्ता अली जौहर के अनुमान के मुताबिक साल की शुरुआत में, लगभग 1,100 रोहिंग्या दिल्ली में रहते थे जबकि भारत में 17,000 रोहिंग्या मुख्य रूप से मजदूर, फेरीवाले और रिक्शा चालक के रूप में काम करते हैं.

भारत रोहिंग्याओं को क्या मानता है?

भारत में रहने वाले कई रोहिंग्या शरणार्थियों के पास UNHCR द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र हैं जो उन्हें शरणार्थियों के रूप में प्रमाणित करते हैं. लेकिन ध्यान देने की है की भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. साथ ही भारत संयुक्त राष्ट्र के उस स्टैंड को भी खारिज करता है जिसमें कहा गया है कि रोहिंग्याओं को निर्वासित करना रिफॉलमेंट के सिद्धांत का उल्लंघन है. रिफॉलमेंट यानी शरणार्थियों की जबरन वापसी उस देश में भेजना जहां वे खतरे का सामना करते हैं.

भारत सरकार रोहिंग्या को वापस भेजने की कोशिश कर रही है. पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को म्यांमार में वापस भेजने से रोकने के लिए दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें करीब 150 रोहिंग्या मुस्लिम पुलिस को हिरासत में लिया गया था.

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