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बिहार के कुछ किसानों ने अपनी बदहाली को उजागर करने के लिए अपने खून-पसीने की कमाई को ही कुचल दिया. टमाटर का सही रेट नहीं मिलने के कारण रोहतास जिले के नाराज किसानों ने सड़क पर टमाटर फेंक दिया और फिर उसे गाड़ियों से कुचल दिया. बचे हुए टमाटर को किसानों ने अपने पैरों से भी कुचला.
किसानों का कहना है कि बाजार में उन्हें टमाटर का सही दाम नहीं मिल रहा है. किसानों ने कहा, "हम अपना खर्चा भी नहीं निकाल पा रहे हैं. इसी वजह से सड़क पर हमें इस तरह विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है."
रास्ते से गुजरने वाला हर शख्स किसानों का इस तरह का विरोध देखकर, कुछ समय के लिए हैरान रह गया.
बता दें कि कर्जमाफी और फसल का सही दाम न मिलने के कारण देशभर के किसान काफी समय से आवाज उठा रहे हैं. हाल ही में महाराष्ट्र में हजारों किसानों ने अपनी मांगो को लेकर नासिक से मुंबई तक 180 किलोमीटर पैदल मार्च निकाला था.
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के किसान बांदा के जिला मुख्यालय में लघु और सीमांत कृषि भूमि का दायरा बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले 45 दिनों से धरना दे रहे हैं. धरना दे रहे किसान अब तक आंदोलन की कड़ी में जल सत्याग्रह, पदयात्रा और सिर-मुंडन भी करा चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उन्हें अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है.
आंदोलन कर रहे किसान अब 'मरता क्या न करता' की स्थिति से गुजर रहे हैं. लिहाजा बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा की अगुआई में किसानों ने बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित अपने खून से दो पन्नों का खत लिखा.
खत में लिखा गया है, "उत्तर प्रदेश अधिकतम जोत सीमा आरोपण अधिनियम-1960 की धारा-4 की उपधारा-2क में बुंदेलखंड की कृषि भूमि को दूसरे जनपदों की अपेक्षा ढाई गुना कम आंका गया है. यानी प्रदेश के दूसरे जनपदों की एक हक्टेयर जमीन की गणना बुंदेलखंड के ढाई हेक्टेयर जमीन के बराबर है. इस लिहाज से मानक भी दोगुना किया जाना किसान हित में होगा."
पिछले तीन दशकों से प्राकृतिक आपदा और सूखे का दंश झेल रहे किसान 'बुंदेलखंड किसान यूनियन' के बैनर तले डेढ़ महीने से यहां के अशोक लॉट तिराहे पर धरना दे रहे हैं. किसानों के प्रतिनिधि लखनऊ जाकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मिले.
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