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RSS सहयोगी SJM की रिटेल मार्केट में रिलायंस के एकाधिकार की चेतावनी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सहयोगी संस्था है स्वदेशी जागरण मंच (SJM)

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सहयोगी संस्था है स्वदेशी जागरण मंच (SJM)
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सहयोगी संस्था है स्वदेशी जागरण मंच (SJM)
(फोटो : रॉयटर्स) 

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सहयोगी संस्था स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने चिंता जताई है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का रिटेल मार्केट में एकाधिकार हो सकता है. नए रिटेल फॉर्मेट में MNC की एंट्री रोकने के लिए SJM ने FDI के नियमों में बदलाव की मांग की है.

SJM ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पास भारत के रिटेल मार्केट का 38 फीसदी से भी ज्यादा होगा. मंच ने कहा, "इससे एकाधिकार की स्थिति बन जाएगी जिसमें एक पार्टी न सिर्फ सप्लायर और किसानों को सस्ते दामों पर खरीद से उत्पीड़ित करेगी, बल्कि कंज्यूमर को भी ऊंचे दामों पर चीजें बेचेगी."

रिलायंस रिटेल और बिग बाजार मल्टी-ब्रांड रिटेल में बाकी प्लेयर्स पर दबदबा बनाए रखेंगे. लोकल किराना स्टोर को जियो मार्ट के लिए फुलफिलमेंट सेंटरों में तब्दील कर दिया जाएगा.  
स्वदेशी जागरण मंच

SJM ने कहा कि सरकार ने रिटेल ट्रेड में मल्टीनेशनल कंपनियों की एंट्री सीमित कर दी है और FDI पॉलिसी मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेड के इन्वेंटरी मॉडल में FDI की इजाजत नहीं देती है. मंच ने कहा, "हालांकि, जिससे कि सेक्टर हाल के टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट का इस्तेमाल कर सके, इसके MNCs को मल्टी-ब्रांड रिटेल सेक्टर में मार्केट प्लेस मॉडल से ऑपरेट करने की इजाजत दी गई है."

SJM ने कहा कि इस मॉडल में MNCs लोकल प्लेयर्स को उनके प्रोडक्ट्स ऑनलाइन बेचने और कंज्यूमर को खरीदने की सुविधा देती हैं. मंच का कहना है कि MNCs इस मॉडल में नियमों का उल्लंघन कर रही हैं.  
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संघ के इकनॉमिक विंग स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने अपनी नेशनल डिजिटल कॉन्फ्रेंस में पास किए गए एक प्रस्ताव में चार मुख्य मांगें रखी हैं:

  1. MNC और भारतीय बिजनेस घरानों के नेक्सस को भारत में ऑपरेट करने की इजाजत न दी जाए. लोकल किराना स्टोर, माइक्रो और स्मॉल इंडस्ट्री सेक्टर में मैन्युफैक्चरर और कंज्यूमर समेत मल्टी-ब्रांड रिटेल से जुड़ी एक बहुत बड़ी जनसंख्या के लिए ये नेक्सस नुकसानदायक साबित होगा.
  2. भारत सरकार को ऐसे विकास का असंगठित रिटेल और कंज्यूमर पर प्रभाव का अच्छे से आकलन करना चाहिए.
  3. ई-कॉमर्स के जरिए दवाइयों को बेचे जाने को इजाजत नहीं मिलनी चाहिए.
  4. FDI नियमों में बदलाव किए जाएं ताकि MNCs की मल्टी-ब्रांड रिटेल में एंट्री रोकी जा सके. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी फॉर्मेट में एंट्री नहीं होनी चाहिए.

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