advertisement
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में धारा 370 के हटाए जाने पर बात करते हुए कहा कि कश्मीर भारत के साथ दृढ़ता के साथ खड़ा है. भागवत ने कहा कि कभी ऐसी बातें नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के लिए भी कही जाती थी लेकिन आज वहां लोग सीमा पर खड़े होकर भारत के नारे लगाते हैं.
मोहन भागवत में नागपुर में कहा, ‘’‘हमेशा से इस बात का डर दिखाया जाता था कि नॉर्थ ईस्ट के राज्य भारत के साथ रहेंगे या नहीं. ये भी कहा जाता था कि असम कश्मीर बन जाएगा लेकिन आज कश्मीर भारत के साथ दृढ़ता से खड़ा है. आज अरुणाचल प्रदेश के लोग चीन के बॉर्डर पर खड़े होकर भारत के नारे लगाते हैं. ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ है कि आज से 50 साल पहले इस देश में कोई उनके साथ ख़ड़ा हुआ था. जबकी वहां के लोग धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन गए हैं फिर भी संघ के कार्यक्रमों में आते हैं.’’
संघ प्रमुख ने संगठन के एक कार्यक्रम में आरक्षण के पक्ष में सौहार्दपूर्ण माहौल में चर्चा की अपील की थी. संघ के कार्यक्रम 'ज्ञान उत्सव' में उन्होंने कहा कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए. भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी लेकिन इससे काफी हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई.
भागवत के इस बयान पर राजनीतिक पार्टियों ने उनको घेरना शुरू कर दिया. कांग्रेस ने कहा कि संघ प्रमुख के बयान से बीजेपी और संघ का दलित-पिछड़ा चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है. गरीबों का आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने की उनकी अगली नीति बेनकाब हो गई है. वहीं बीएसपी चीफ मायावती ने कहा कि भागवत का बयान संदेह की स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है. संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता को त्याग दे तो बेहतर है. वहीं भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने भागवत को खुली बहस की चुनौती दे दी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)