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असम (Assam) के दो दिनों के दौरे पर गए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने 21 जुलाई को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) का हिंदू-मुस्लिम मतभेद से कोई लेना देना नहीं है. भागवत ने कहा कि दोनों मुद्दों से जुड़ा 'सांप्रदायिक नैरेटिव राजनीतिक फायदे' के लिए फैलाया जा रहा है.
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि नागरिकता कानून की वजह से किसी भी मुसलमान का कोई नुकसान नहीं होगा. 'Citizenship debate over NRC and CAA-Assam and the Politics of History' नाम की एक किताब की लॉन्चिंग पर मोहन भागवत ने कहा,
भागवत ने मुस्लिम आबादी पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "1930 से मुस्लिम आबादी बढ़ाने की संगठित कोशिश हो रही थी और मकसद उनका दबदबा बढ़ाना और इस देश को पाकिस्तान बनाना था." भागवत ने कहा कि ये पंजाब, सिंध, असम और बंगाल के लिए योजना बनाई गई थी और कुछ हद तक कामयाब भी हुई.
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि नागरिकता कानून पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देगा. भागवत ने कहा, "हम इन देशों में आपदा के समय बहुसंख्यक समुदायों तक भी पहुंचते हैं. तो अगर कोई धमकी या डर की वजह से हमारे देश में आना चाहता है तो हम उसकी जरूर मदद करेंगे."
NRC पर बात करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हर देश के पास अधिकार है कि वो जानें उसके नागरिक कौन-कौन हैं. भागवत ने कहा कि इन मुद्दों पर सांप्रदायिक नैरेटिव बनाकर कुछ लोग राजनीतिक फायदा लेना चाहते हैं.
असम में CAA और NRC पर बयान से पहले मोहन भागवत ने कहा था कि जो हिंदू ये कहता है कि यहां मुस्लिम नहीं रह सकते हैं, तो वो शख्स हिंदू है ही नहीं. भागवत ने कहा कि लोकतंत्र में हिंदू या फिर मुस्लिमों का प्रभुत्व नहीं हो सकता है, यहां सब बराबर हैं.
गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में शामिल हुए मोहन भागवत ने कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक ही है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म या मजहब के हों. भागवत ने गाय के नाम पर होने वाली लिंचिंग पर कहा था, "गाय एक पवित्र जानवर है, लेकिन जो लोग उसके नाम पर दूसरों की लिंचिंग कर रहे हैं वो हिंदुत्व के खिलाफ जा रहा है. ऐसे लोगों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए."
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