advertisement
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय लेक्चर सीरीज का बुधवार को आखिरी दिन है. आखिरी दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मॉब लिंचिंग, गोरक्षा, जम्मू-कश्मीर, अल्पसंख्यक और राम मंदिर जैसे तमाम अहम सवालों के जवाब दिए.
संघ के राजनीतिक जुड़ाव के सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस किसी भी दल का समर्थन नहीं करता है, वह सिर्फ नीति का समर्थन करता है.
विवाह को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में मोहन भागवत ने कहा कि संघ अंतरजातीय विवाह का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि समाज में जातिगत भेदभाव नहीं होना चाहिए. संघ प्रमुख ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा अंतरजातीय विवाह संघ के स्वयंसेवकों ने किया है.
भागवत ने कहा कि समाज को एक दृष्टि से देखना जरूरी है, इससे हिंदू समाज में विभाजन नहीं होगा. इसलिए संघ सभी हिंदुओं को संगठित करने का प्रयास कर रहा है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गोरक्षा और इससे जुड़ी हिंसा से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि गोरक्षा और मॉब लिंचिंग से जोड़ना ठीक नहीं है. भागवत ने कहा, ''हिंसा करना अपराध है, ऐसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.''
भागवत ने कहा कि गाय परंपरागत श्रद्धा का विषय है. इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसलिए गोरक्षा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गोरक्षा के काम को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि संघ अंग्रेजी समेत किसी भी भाषा का विरोधी नहीं है, लेकिन इसे उचित जगह दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह किसी भारतीय भाषा का स्थान नहीं ले सकती.
संघ के तीन दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन लिखित सवालों का जवाब देते हुए भागवत ने कहा, "आपको अंग्रेजी समेत किसी भी भाषा का विरोधी नहीं होना चाहिए और इसे हटाया नहीं जाना चाहिए. हमारी अंग्रेजी के साथ कोई शत्रुता नहीं है. हमें कुशल अंग्रेजी वक्ताओं की जरूरत है.”
भारत के विभिन्न भागों में बदल रहे जनसांख्यिकी संतुलन और घटती हिंदू आबादी के बारे में एक सवाल पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दुनियाभर में जनसांख्यिकी संतुलन को महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे यहां भी कायम रखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखते हुए जनसंख्या पर एक नीति तैयार की जानी चाहिए.'' अगले 50 सालों में देश की संभावित आबादी और इस संख्या बल के अनुरूप संसाधनों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक बार जब नीति पर निर्णय हो जाए तो यह सभी पर लागू होना चाहिए और किसी को बख्शा नहीं जाना चाहिए.
भागवत ने कहा कि इस प्रकार की नीति को वहां बाद में लागू किया जा सकता है, जहां इस प्रकार की समस्या नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि महज कानून ही किसी मुद्दे का समाधान नहीं है. कई बीजेपी नेता और हिंदू संगठन इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. उनका कहना है कि मुस्लिम आबादी की तुलना में हिन्दुओं की जनसंख्या घट रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)