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राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय लेक्चर सीरीज सोमवार से शुरू हो रही है. संघ की इस लेक्चर सीरीज के केंद्र में हिंदुत्व होगा. संघ की ओर से चालीस राजनीतिक दलों को न्योता भेजा गया था. हालांकि, इस कार्यक्रम में विपक्ष के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना कम है.
इस कार्यक्रम में तीनों दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्रीय महत्व के अलग-अलग समसामयिक विषयों पर संघ का विचार रखेंगे.
कार्यक्रम का शीर्षक 'भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण' रखा गया है. आरएसएस के प्रमुख प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा, "आज भारत अपना दुनिया में विशेष स्थान फिर से हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. आरएसएस मानता है कि समाज के बड़े तबके की निराशा बढ़ रही है, जिसमें बुद्धिजीवी और युवा भी शामिल हैं जो आरएसएस के विभिन्न मुद्दों पर नजरिया जानना चाहते हैं."
उन्होंने कहा, "यह कार्यक्रम हमारे विचार को प्रस्तुत करने के लिए है, यह बताने के लिए है कि हम उन मुद्दों को कैसे देखते है, जिसे विपक्ष हमें और सरकार को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है."
बीजेपी और आरएसएस नेता सोमवार को बैठक में शामिल होंगे. इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालातों और 'लेफ्ट लिबरल' विचारधारा का मुकाबला करने की रणनीति पर चर्चा हो सकती है. आरएसएस के ज्वॉइंट जनरल सेक्रेटरी कृष्णगोपाल बीजेपी नेता राम माधव, राम लाल और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और महेश शर्मा के साथ मंथन करेंगे. इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं.
संघ के शीर्ष नेता इस बैठक में उन लेखकों के साथ भी चर्चा करेंगे, जो संघ की विचारधारा के अलावा, हिंदुत्व, अभिव्यक्ति की आजादी, भारतीय संस्कृति के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर जैसे मुद्दों पर स्पष्ट विचार रख सकें.
सीपीआई ने कहा है कि येचुरी यात्रा पर हैं और आरएसएस की तरफ से कोई आमंत्रण भी नहीं आया है. वहीं कांग्रेस ने इसे लेकर आरएसएस पर कटाक्ष किया है.
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "आरएसएस और बीजेपी आमंत्रण भेजने को लेकर फर्जी खबर फैला रहे हैं, जैसे मानो यह किसी सम्मान का कोई मेडल हो." सुरजेवाला ने कहा, "इस तरह का कोई आमंत्रण कांग्रेस पार्टी को नहीं मिला है और यह कोई सम्मान का पदक नहीं है. उनके अंतर्निहित घृणा के एजेंडे से सभी लोग वाकिफ हैं."
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आरएसएस की बैठक में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कहा, "मुझे आरएसएस के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं है. मैंने केवल सरदार पटेल द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पढ़ा है और उस पैराग्राफ को पढ़कर, मेरे पास बैठक में भाग लेने का साहस नहीं है."
उन्होंने कहा, "मैं हमेशा इस बात पर जोर देता हूं कि सभी को उन मामलों के बारे में कम से कम पढ़ना चाहिए, जिसे सरदार पटेल ने प्रतिबंधित किया था. यह सुनिश्चित करेगा कि उन्होंने जो कुछ भी उस समय कहा था, वह स्थिति आज भी बनी हुई है."
इस इवेंट के लिए करीब 500 मेहमानों को न्योता भेजा गया है, जो अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं. वहीं एशियाई देशों को भी न्योता भेजा गया है, लेकिन पाकिस्तान से किसी को भी नहीं बुलाया गया है.
अलग-अलग धर्म से जुड़े लोगों को भी इस कार्यक्रम में न्योता दिया गया है. हालांकि इस कार्यक्रम में मीडिया को न्योता नहीं दिया गया है.
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