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बेहतर जिंदगी की चाह, धोखाधड़ी और जंग: रूसी सेना में 'फंसे' कश्मीरी शख्स के परिजनों का दर्द

नौकरी की तलाश में ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार कम से कम 13 भारतीय कथित तौर पर रूस पहुंच गए.

इरफान अमिन मलिक
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>सज्जाद अहमद का दावा है कि वह एक मैसेजिंग ऐप के जरिए अपने भाई के संपर्क में है.</p></div>
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सज्जाद अहमद का दावा है कि वह एक मैसेजिंग ऐप के जरिए अपने भाई के संपर्क में है.

फोटो- Irfan Amin Malik

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"मेरा बेटा मुझसे मीलों, महासागरों के बाद कहीं दूर फंसा हुआ है. उसकी गैर-हाजिरी ने मेरी रातों की नींद हराम कर दी है.'' द क्विंट से यह कहते हुए राजा बानो के आंसू छलकने को आते हैं लेकिन वह खुद को संभाल लेती हैं. वह बताती हैं कि उनके बेटे आजाद यूसुफ कुमार को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध रूस की ओर से अग्रिम मोर्चे पर तैनात किया गया है.

जम्मू-कश्मीर के अवंतीपोरा के पोशवान गांव के रहने वाले आजाद यूसुफ ट्यूबवेल खोदने का काम करते थे. 2023 में पिता बनने के कुछ ही महीनों बाद उन्होंने दुबई में सुरक्षा सहायक की नौकरी के लिए ऑनलाइन आवेदन किया. 

14 दिसंबर को 31 वर्षीय आजाद यूसुफ अपने बुजुर्ग माता-पिता, अपनी पत्नी मायमूना और अपने चार महीने के बच्चे मोहम्मद को पोशवान में छोड़कर अपना भविष्य संवारने के लिए दुबई निकल पड़े.

हालांकि, 14 दिन बाद आजाद यूसुफ कुमार को कम से कम 12 अन्य भारतीयों के साथ कथित तौर पर रूस में युद्ध के मैदान में भेज दिया गया. इस खबर के बाद उनके परिवार के लोग उनकी सलामती को लेकर चिंता में हैं.

'नौकरी के बहाने जंग के मैदान में भेजा गया'

उनके भाई सज्जाद अहमद ने द क्विंट को बताया कि कॉमर्स ग्रेजुएट आजाद यूसुफ को एजेंटों ने लालच दिया था और सहायक की नौकरी देने का वादा किया था.

सज्जाद अहमद और आजाद यूसुफ के परिवार के अन्य सदस्य

फोटो- Irfan Amin Malik

सज्जाद कहते हैं, "एक यूट्यूब चैनल ने दुबई में नौकरी का विज्ञापन दिखाया था. मेरे भाई ने एजेंट को 3 लाख रुपये का भुगतान किया और कुछ दिनों बाद उसे अपना टिकट मिला."

अहमद बताते हैं कि दुबई से आजाद यूसुफ को "धोखे से" रूसी सेना के साथ लड़ने के लिए विजिटर वीजा पर रूस भेज दिया गया. उनका दावा है कि वह अपने भाई से एक मैसेजिंग ऐप के जरिए बात करते हैं.

उन्होंने कहा, "पांच दिन पहले मैंने अपने भाई को वीडियो कॉल पर कॉम्बैट यूनिफॉर्म पहने देखा था. वह कभी-कभी मुझे मैसेज भेजता है. कॉल के दौरान मैंने गोलीबारी की आवाज सुनी, जिससे मैं उसकी सुरक्षा को लेकर और भी चिंतित हो गया हूं."

आजाद यूसुफ के चाचा अली मोहम्मद कहते हैं कि उनका भतीजा जंग के मैदान में है, यह बात "परिवार के लोगों को अंदर ही अंदर खाए जा रहा है."

उन्होंने द क्विंट को बताया, "हमें उम्मीद थी कि आजाद अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए दुबई में एक सहायक के तौर पर काम कर रहा होगा, लेकिन जैसे ही हमने उसे रूसी सेना में काम करते देखा, हमारे सिर पर तो आसमान टूट पड़ा."

आजाद यूसुफ के भाई के मुताबिक अपने सैन्य प्रशिक्षण के पहले 15 दिनों में आजाद ने गलती से खुद को पैर में गोली मार ली और घायल हो गया. अहमद कहते हैं, "इलाज के बाद उसे रूसी सेना में फिर से तैनात किया गया है."

अहमद आगे दावा करते हैं कि मॉस्को में भारतीय दूतावास और नई दिल्ली में रूसी दूतावास ने उनके ईमेल का अबतक जवाब नहीं दिया.

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आजाद सरीखे कई मामले आए सामने

आजाद यूसुफ के घर से लगभग 191 किमी दूर कुपवाड़ा जिले के हंजिनार गांव में जहूर अहमद शेख का घर है. वे ऑनलाइन नौकरी घोटाले के एक और शिकार हैं. जहूर अहमद शेख चंडीगढ़ में एक कंपनी में कार्यरत थे. बेहतर नौकरी की संभावनाओं की तलाश में रूस जाने के बाद अब वो वहां की सेना के लिए लड़ रहे हैं.

क्विंट ने शेख के परिवार से संपर्क किया, लेकिन वे इस मामले पर बोलने से हिचक रहे थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि शेख के परिवार ने अभी तक किसी भी मदद के लिए पुलिस से संपर्क नहीं किया है.

उन्होंने कहा, "पुलिस ने परिवार से संपर्क किया और सहायता की पेशकश की, लेकिन परिवार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है."

वहीं जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुएहमी ने मॉस्को में भारतीय दूतावास के साथ इस मुद्दे को उठाने का दावा किया. नासिर खुएहमी ने दावा किया है कि भारत में उनकी वापसी के लिए प्रयास चल रहे हैं.

"दोनों व्यक्तियों के परिवार हमारे पास पहुंचे थे. हमने विदेश मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखा है. चिट्ठी में फंसे हुए लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की गुजारिश की गई है."

"मॉस्को में भारतीय दूतावास भी अगले 2-3 दिनों में उनकी वापसी के बारे में हमसे संपर्क करेगा और यह भी बताएगा कि वे अपने घरवालों से कब मिलेंगे."
नासिर खुएहमी, राष्ट्रीय संयोजक, जम्मू-कश्मीर छात्र संघ

'मेरे भाई ने गलती से हस्ताक्षर कर दिए...'

आजाद यूसुफ और जहूर अहमद शेख अकेले भारतीय नहीं हैं जिन्हें वैगनर ग्रुप ने धोखे से भर्ती किया है. कम से कम कुल 13 लोग ऐसे हैं जिन्हें जबरदस्ती रूस भेजा गया है. बता दें कि वैगनर ग्रुप एक तथाकथित निजी सैन्य कंपनी है, जो यूक्रेन में रूसी सेना के साथ अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहा है.

हैदराबाद के नामपल्ली के मोहम्मद असफान को रूसी सेना ने दुनिया भर के एजेंटों और भर्तीकर्ताओं की मदद से एक फर्जी भर्ती स्कीम के तहत काम पर रखा था.

असफान के भाई मोहम्मद इमरान ने द क्विंट को बताया, "मेरे भाई को रूस-यूक्रेन जंग लड़ने के लिए भाड़े के सैनिक के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया."

मोहम्मद इमरान ने कहा, "असल में समस्या तब शुरू हुई जब उनसे कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया जो रूसी भाषा में लिखे गए थे. चूंकि असफान रूसी भाषा नहीं समझ सके, इसलिए उन्होंने गलती से संघर्षग्रस्त यूक्रेन में रूसी सेना के साथ काम करने के लिए एक सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए."

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गुजरात के सूरत का हामिल मंगुकिया नाम का 23 साल का युवक 21 फरवरी को रूसी सेना के लिए लड़ते हुए मारा गया था. द हिंदू के मुताबिक, मिसाइल लगने से मंगुकिया की मौत हो गई. वहीं दो लोग इस हमले से बच निकलने में सफल रहे.

'अपने भाई को वापस लाने के लिए रूस जाऊंगा'

इमरान ने कहा कि अगर उनके भाई को जल्द नहीं बचाया गया तो वह खुद रूस जाएंगे और उसे वापस ले आएंगे. वह कहते हैं, "मुझे वीजा मिल गया है और अगर मेरा भाई घर नहीं आया तो मैं अगले सप्ताह रूस के लिए उड़ान भरूंगा."

इमरान सवालिया लहजे में पूछते हैं कि आजाद यूसुफ और अन्य भारतीय नागरिकों को दूसरे देश के लिए क्यों लड़ना पड़ता है और अपनी कीमती जान क्यों गंवानी पड़ती है. "हमारे युवा लड़के दूसरे देश के लिए अपनी जान क्यों गंवा रहे हैं? हमारे लड़कों को जल्द से जल्द वापस लाया जाना चाहिए और वे केवल अपने देश के लिए कुर्बानी दे सकते हैं."

केंद्र सरकार ने स्वीकारा है कि यूक्रेन के साथ चल रहे जंग के बीच कुछ भारतीय रूस में फंसे हुए हैं. सरकार भारतीय नागरिकों की घर वापसी के लिए रूसी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है.

इस सप्ताह की शुरुआत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि मॉस्को में भारतीय दूतावास के ध्यान में लाए गए ऐसे प्रत्येक मामले को रूसी अधिकारियों के साथ दृढ़ता से उठाया गया है.

''मंत्रालय के ध्यान में लाए गए सभी लोगों को नई दिल्ली में रूसी दूतावास के सामने उठाया गया है. इसलिए, कई भारतीयों को पहले ही रवाना कर दिया गया है. हम सर्वोच्च प्राथमिकता के तौर पर रूसी सेना से भारतीय नागरिकों की जल्द से जल्द घर वापसी के लिए वहां के अधिकारियों के साथ सभी प्रासंगिक मामलों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.''

इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और मॉस्को में भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर भारतीय युवाओं की घर वापसी की मांग की है.

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी एक्स पर एक पोस्ट के जरिए विदेश मंत्री जयशंकर से यूक्रेन के खिलाफ रूसी सेना में "जबरन तैनात" अवंतीपोरा से आजाद यूसुफ कुमार को सुरक्षित भारत वापस लाने की अपील की है. उन्होंने लिखा, "परिवार उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद व्यथित और चिंतित है."

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Published: 03 Mar 2024,07:37 PM IST

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