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केरल स्थित सबरीमाला मंदिर के कपाट 16 नवंबर की शाम भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे. मंदिर के कपाट मंडला पूजा के लिए खोले जा रहे हैं.
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से सबरीमाला मामले पर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं को 7 जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया. ये पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2018 के फैसले के खिलाफ दाखिल हुई थीं.
इस रोक को लेकर कोर्ट में दलील दी गई थी कि सबरीमाला मंदिर में ब्रह्मचारी देव हैं और इसी वजह से तय आयुवर्ग की महिलाओं की एंट्री पर बैन है.
ऐसे में सबरीमाला मंदिर जाने वाली 10 से 50 साल उम्र तक की महिलाओं को सुरक्षा मुहैया ना कराए जाने को लेकर केरल सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. पिछले साल केरल सरकार ने सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2018 के फैसले को लागू करने का फैसला किया था. उस दौरान सबरीमाला मंदिर तक पहुंचने की कोशिश करने वाली युवा महिलाओं के साथ-साथ राज्य सरकार को भी काफी विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था.
अंग्रेजी द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, केरल में सत्तारूढ़ सीपीएम की डिसीजन मेकिंग बॉडी ने मुख्यमंत्री पी. विजयन को सलाह दी है कि राज्य सरकार सबरीमाला मंदिर जाने वाली युवा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उस तरह कदम ना उठाए, जिस तरह उसने पहले उठाए थे.
हालांकि केरल देवासम बोर्ड मिनिस्टर के. सुरेंद्र ने कहा है कि सबरीमाला एक्टिविज्म की जगह नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार ऐसी महिलाओं का साथ नहीं देगी, जो पब्लिसिटी के लिए सबरीमाला मंदिर जाना चाहती हैं.
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