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"हमें पीटा गया लेकिन हमने फिर भी वोट डाला."
ये कहना है यूपी (Uttar Pradesh) के संभल (Sambhal) के कई वोटर्स का जिनमें अधिकतर मुस्लिम वोटर्स हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें वोट डालने से रोका, लाठीचार्ज की और मतदान प्रतिशत को कम करने की कोशिश की. हालांकि यूपी पुलिस और जिला प्रशासन ने इन आरोपों से इनकार कर दिया है. यहां तीसरे चरण में मंगलवार को वोट डाले गए थे.
क्विंट हिंदी ने संभल पहुंचकर लोगों से इस मामले में बात की.
70 साल की स्थानीय निवासी बानो ने कहा, "जब मैं वोट डालकर वहां से आ रही थी तो महिला पुलिस होने के बावजूद पुरुष पुलिसकर्मियों ने मुझे डंडे से मारा. बहुत बड़ा डंडा था, आंख फूटने से बच गई लेकिन मेरे घुटने पर चोट आई है."
संभल के ओबरी और आसपास के गांव, मंसूरपुर और शहबाजपुर कलां के कई मतदाताओं ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया है. ओबरी के 40 वर्षीय निवासी रईस ने कहा:
यही नहीं पुलिस थाने में भी मारपीट का आरोप लगाया गया है. शाहबाजपुर कलां निवासी 25 वर्षीय साबिर ने कहा कि मेरे पूरे शरीर पर डंडा मारा गया. जब मैं वहां वीडियो बना रहा था तो मुझे पकड़ लिया और पीटा गया. फिर वो घसीट पर मुझे थाने लेकर गए और वहां भी बहुत देर तक मुझे मारा. थाने में बहुत सारे पुलिस वाले थे. पता नहीं यहां के थे या बाहर से आए थे.
वहीं जब क्विंट हिंदी ने असमोली थाना प्रभारी इंस्पेक्टर हरीश कुमार से बात हुई तो उन्होंने सारे आरोप खारिज कर दिए. उन्होंने कहा कि, "देखिए वीडियो वायरल हो रही है और होती रहेगी. पता नहीं न कौन, कैसे करा रहा है. हमारे क्षेत्र में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है."
संभल सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जिया उर रहमान बर्क ने इस घटना को शर्मनाक बताया और चुनाव आयोग से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
इतनी हिंसा के बावजूद यूपी के संभल में सबसे ज्यादा 62.81% मतदान हुआ है. सभी मतदाताओं ने एक ही स्वर में कहा कि "चाहे कुछ भी हो वोट देने का अपना अधिकार बर्बाद नहीं होने देंगे." सिर पर चोट के निशाम पर पट्टी बांधे हुए एक अन्य निवासी ने कहा कि "वोट कोई भी डाल सकता है, सबका अधिकार है, वो जिसपर चाहे उस पर निशान लगा सकता है."
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