Home News India शांति और समन्वय का प्रतीक सम्मेद शिखर/मरांग बुरु अब अशांत है
शांति और समन्वय का प्रतीक सम्मेद शिखर/मरांग बुरु अब अशांत है
जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा, "अपनी ही सरकार में अपने अधिकार के लिए भीख मांगनी पड़ रही है."
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भारत
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विवाद का कारण बनी झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी
(फोटो: Accessed by Quint Hindi)
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झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी विवाद का केंद्र बन गई है. इलाके को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले से जैन समुदाय नाराज हैं. वहीं, वहां रह रहे आदिवासियों की मांग है कि वो हमेशा से पहाड़ी को 'मरांग बुरु' मानकर पूजते आए हैं. इस इलाके को लेकर जैन समुदाय और आदिवासी आमने-सामने हैं. 10 जनवरी को करीब पांच हजार आदिवासियों ने इस इलाके को 'मरांग बुरु' घोषित किए जाने की मांग के साथ प्रदर्शन किया.
झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी को लेकर पहले जैन समुदाय विरोध कर रहे थे. अब इसके विरोध में आदिवासी समुदाय भी आ गया है, जो इस पहाड़ी को 'मरांग बुरु' के नाम से पहचाने जाने के लिए अपनी आवाज उठा रहे हैं.
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10 जनवरी को लगभग 5000 आदिवासियों ने गिरिडीह में पहाड़ी को 'मरांग बुरु' घोषित किए जानी की मांग के साथ प्रदर्शन किया.
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जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा, "अपनी ही सरकार में अपने अधिकार के लिए भीख मांगनी पड़ रही है."
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लोबिन हेंब्रम ने विरोध प्रदर्शन में आगे कहा, "25 जनवरी तक अगर मरांग बुरु का अधिकार आदिवासियों को नहीं मिला तो हम ताकत दिखा देंगे. हेमंत मुझे पार्टी से निकाल सकते हैं, माटी से नहीं."
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जेएमएम के विधायक लोबिन हेम्ब्रम का कहना है, "हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन आस्था के नाम पर कब्जा नहीं करने दिया जाएगा."
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जेएमएम के महासचिव और गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी साफ कहा है कि यह पहाड़ी आदिवासियों की है.
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इंटरनेशनल संताल काउंसिल के अध्यक्ष नरेश मुर्मू ने क्विंट से कहा, "जैन धर्म के लोग यहां अतिथि बनकर आए. जैन समाज के लोग सीएनटी एक्ट का उल्लंघन करते हैं और कुल 36 धर्मशाला और मंदिर बनाते हैं. फिर कहते हैं कि मंदिर के 10 किलोमीटर के एरिया को जैन धर्म के लोगों के हवाले कर दिया जाए."
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गिरिडीह जिले में स्थित जैन समाज के पवित्र तीर्थस्थल पारसनाथ पहाड़ी सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किए जाने से नाराज हैं.
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केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में और झारखंड के सम्मेद शिखर जी को बचाने के लिए कई मुनियों ने अपने शरीर त्याग दिए हैं.
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जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने 3 जनवरी को प्राण त्याग दिए थे. देह त्याग करने वाले दिगंबर जैन मुनि सुज्ञेय सागर उदयपुर जिले के थे.
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आमरण अनशन पर बैठे दूसरे जैन मुनि का भी निधन हो गया. जयपुर के सांगानेर स्थित संघी जी जैन मंदिर में 3 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे मुनि समर्थ सागर का 6 जनवरी की रात को निधन हो गया.
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जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं.
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इंटरनेशनल संताल काउंसिल के अध्यक्ष नरेश मुर्मू ने क्विंट से कहा, "हमारी मांग है कि पूरी पहाड़ी को केंद्र सरकार लिखित तौर पर मरांग बुरू घोषित करे."