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संदेशखाली केस पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, पहले हाईकोर्ट जाने की दी सलाह

Sandeshkhali Violence Update: संसद की विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

क्विंट हिंदी
भारत
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सुप्रीम कोर्ट

फोटो: क्विंट हिंदी

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सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने संदेशखाली घटना पर दायर जनहित याचिका में मामले पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है साथ ही लोकसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा पश्चिम बंगाल (West Bengal) के मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका और अन्य अधिकारियों को जारी किए गए समन नोटिस पर सोमवार, 18 फरवरी को रोक लगा दी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पश्चिम बंगाल के अधिकारियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए लोकसभा सचिवालय को इस मामले में नोटिस जारी किया है.

याचिकार्ता ने क्या कहा?

संदेशखाली घटना पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले वकील आलोक श्रीवास्तव कहा कि, "संदेशखाली घटना पर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में अदालत ने इस मामले पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है क्योंकि इसी तरह का मामला कलकत्ता हाईकोर्ट के पास लंबित है. मुझसे कलकत्ता हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर करने के लिए कहा गया है."

बता दें कि याचिका में कथित संदेशखाली यौन उत्पीड़न मामले की सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की गई थी.

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बीजेपी सदस्य सुकांत मजूमदार ने लगाया आरोप 

लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान बीजेपी सदस्य सुकांत मजूमदार द्वारा कथित "कदाचार, क्रूरता और जानलेवा चोटों" को लेकर दायर शिकायत पर राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था. ऐसा तब हुआ जब मजूमदार को कथित तौर पर संदेशखाली में प्रवेश करने से रोक दिया गया.

संदेशखली में महिलाएं तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों द्वारा महिलाओं पर कथित अत्याचार किए जाने को लेकर आंदोलन कर रही हैं.

पश्चिम बंगाल अधिकारीयों की वकालत कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपील सिब्बल ने कार्यवाही के दौरान कहा कि यह शिकायत झूठे दावों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि आरोपों के विपरीत, घटना के दौरान महिलाओं सहित कई पुलिस अधिकारी घायल हुए.

"मामले में पश्चिम बंगाल के 38 पुलिस अधिकारी घायल हो गए हैं जिसमें 8 महिला पुलिस अधिकारी थीं. वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि भाजपा की एक महिला सदस्य ने शिकायतकर्ता को धक्का दिया और इस तरह उसे चोट लगी. हम वीडियो दिखा सकते हैं”
वरिष्ठ अधिवक्ता कपील सिब्बल

लोकसभा सचिवालय की ओर से पेश वकील देवाशीष भरुका ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा “ यह विशेषाधिकार समिति की पहली बैठक थी. उन पर कुछ भी आरोप नहीं लगाया जा रहा है. यह एक नियमित प्रक्रिया है. एक बार जब कोई सांसद नोटिस भेजता है और स्पीकर को लगता है कि उस पर गौर करने के लिए कुछ है तो नोटिस जारी किया जाता है."

सुप्रीम कोर्ट में संदेशखाली मामले पर सुनवाई आज

सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) या विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार, 19 फरवरी को सुनवाई करेगा. यह याचिका वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दायर की थी, जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ करेगी.

आलोक श्रीवास्तव ने दायर याचिका में संदेशखाली हिंसा के पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है. साथ ही कर्तव्य में कथित लापरवाही को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले श्रीवास्तव सामाजिक-राजनीतिक मुद्दे उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर करते रहे हैं.

NCW अध्यक्ष रेखा शर्मा आज संदेशखाली दौरे पर जाएंगी

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा आज यानी सोमवार, 19 फरवरी को जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए संदेशखाली जाएंगी. पिछले हफ्ते NCW के दो सदस्यों ने क्षेत्र का दौरा किया था और बंगाल सरकार और कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा "लापरवाही और मिलीभगत" का जिक्र करते हुए एक रिपोर्ट सौंपी थी.

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, "जैसा कि आप जानते हैं, संदेशखाली से परेशान करने वाली खबर आई है. मैं वहां जा रही हूं और मैं चाहती हूं कि उन्हें (महिलाओं को) न्याय मिले. मैं डीजी और स्थानीय पुलिस से मिलूंगी. मैं महिलाओं से मिलना चाहती हूं और आश्वासन देना चाहती हूं कि मेरा समर्थन उनके साथ है."

अध्यक्ष संदेशखाली में पीड़ित महिलाओं और स्थानीय लोगों से बातचीत करेंगी. साथ ही राज्यपाल से भी मिलेंगी.

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