advertisement
दिल्ली में छह बजे जैसे ही मतदान खत्म हुआ, वैसे ही इंटरनेशनल सट्टेबाज सक्रिय हो उठे. चुनाव भले ही दिल्ली विधानसभा का था. सट्टेबाज मगर दिल्ली से लेकर दुबई और लंदन तक के सतर्क थे. कम मतदान के चलते सट्टा बाजार में शाहीन बाग खूब बिका. शनिवार शाम करीब सवा छह बजे सट्टा बाजार में चली 'झाड़ू' ने भारतीय जनता पार्टी के 'कमल' को मुरझा डाला और कांग्रेस के 'पंजे' को बुरी तरह मरोड़ दिया.
देश के एक बड़े सटोरिए के अनुसार, "कम मतदान का सीधा-सीधा फायदा आम आदमी पार्टी यानी झाड़ू को मिला. झाड़ू की नजर अपने पक्के यानी मजबूत वोट पर थी. झाड़ू का वोट वो था, जिसके रहम-ओ-करम पर कभी कांग्रेस राजपाट संभालती थी. मतलब झुग्गी-झोपड़ी का बाशिंदा. छोटी-मोटी दूर-दराज की दिल्ली में बसी अवैध कॉलोनियां. चोरी छिपे रह रहे बंग्लादेशी."
सट्टा बाजार के आकाओं के मुताबिक, "जो वोटर आज झाड़ू का परचम दिल्ली की राजनीति में लहरा रहा है, वही कभी कांग्रेस की धरोहर हुआ करता था. गरीब को सीधे-सीधे सुविधा चाहिए. मसलन बिजली, पानी, सुगम और सस्ती परिवहन सुविधा. झाड़ू ने यह सब मुहैया करा दिया है. लिहाजा कांग्रेस का वोट भी आप को चला गया."
दुबई से लंदन तक सट्टा बाजार के एक जानकार ने शनिवार को आईएएनएस से कहा, "दिल्ली विधानसभा का यह चुनाव मुद्दों का नहीं, मतलब का था. जिससे जिसका मतलब पूरा हुआ, वही सिकंदर और विजेता बना. आप पार्टी ने गरीब को उसकी मनपसंद और जरूरतें पूरी कर दीं. लिहाजा कमजोर तबके का वोट सीधे-सीधे झाड़ू को चला गया."
एक सट्टेबाज के मुताबिक, "अगर अचानक से कुछ बहुत ही ज्यादा उलट-फेर न हो जाए, तो केजरीवाल की सरकार फिर से बननी तय है. जहां तक सीटों की बात है तो झाड़ू को 50 से ऊपर सीटें मिलना तय है. इतनी ही सीटें आम आदमी पार्टी को अपनी सरकार बनाने को चाहिए."
सट्टा बाजार के ही मुताबिक, "बीजेपी यानी कमल जिस शाहीन बाग में खिलने के ख्वाब देख रहा था, वही शाहीन बाग कमल को पानी पर तैराने के बजाए पानी में डुबो गया. हां, शाहीन बाग का तमाशा अगर बीजेपी ने चुनाव से ठीक पहले खत्म करवा लिया होता, तो उसे कास्ट वोट का लाभ मिलना तय था. इन हालातों में कम वोटिंग का सबसे ज्याद नुकसान भी बीजेपी को ही हुआ है. बीजेपी इस चुनाव में 15 सीटों के करीब पहुंच सकती है. जबकि कांग्रेस अपना खुद का वोट आप को थमाकर कहीं की नहीं रही है. उसे 2 से 4 सीटें मिल सकती हैं."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)