Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019SC ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को चुनौती देने वाली याचिका पर मांगा जवाब

SC ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को चुनौती देने वाली याचिका पर मांगा जवाब

केन्द्र और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी 

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
 नैश हसन की याचिका पर कोर्ट ने दिया आदेश
i
नैश हसन की याचिका पर कोर्ट ने दिया आदेश
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुपत्नी और निकाह हलाला से जुड़े प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर केन्द्र से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की बेंच ने केन्द्र और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी किया है.

इस याचिका में गुजारिश की गई है,‘‘मुस्लिम पर्सनल लॉ ( शरियत ) कानून 1937 की धारा 2 को उस सीमा तक असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14 ( कानून समक्ष बराबर ), अनुच्छेद 15 (जाति, धर्म , जन्म स्थान या लिंग के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध ) और अनुच्छेद 21 ( जीवन और व्यक्तिगत आजादी को संरक्षण ) का उल्लंघन करने वाली घोषित की जाये, जहां वह बहुपत्नी प्रथा, निकाह हलाला और निकाह मुताह और निकाह मिसयार को मान्यता देता है.‘’

साथ ही इन मुद्दों को लेकर पहले से ही लंबित याचिकाओं के साथ जवाब पेश करने का आदेश दिया. ये याचिकाएं पहले ही 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच के पास सुनवाई के लिये भेजी जा चुकी हैं. कोर्ट ने लखनऊ निवासी नैश हसन की याचिका पर सोमवार को यह आदेश दिया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

याचिका में दी गई ये दलीलें

हसन ने अपनी नई याचिका में कहा है कि इस सवाल के जवाब की जरूरत है कि क्या धर्मनिरपेक्ष संविधान के तहत महिलाओं को महज उनकी धार्मिक पहचान के सहारे दूसरी आस्थाओं को मानने वाली महिलाओं की तुलना में कमजोर दर्जा दिया जा सकता है.

याचिका में कहा गया है कि बहुपत्नी, निकाह हलाला, निकाह मुताह और निकाह मिसयार की प्रथाएं मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक हैसियत और गरिमा पर असर डालती हैं और उन्हें अपने ही समुदाय के आदमियों और दूसरे समुदाय की महिलाओं और भारत के बाहर मुस्लिम महिलाओं की तुलना में कमजोर बनाती हैं.

शीर्ष अदालत ने 3 तलाक के मामले में 5 सदस्यीय संविधान पीठ के 2017 के बहुमत के फैसले को ध्यान में रखते हुये 26 मार्च को इन मुद्दों को लेकर दायर याचिकायें बेंच को सौंप दी थीं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT