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तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा है.
सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने लगातार 6 दिन तक इस मामले पर सुनवाई की. केंद्र सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ अपना पक्ष रखा और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अपनी दलीलें पेश कीं.
दलीलों की वजह कपिल सिब्बल की हुई आलोचना
कपिल सिब्बल ने ट्रिपल तलाक के पक्ष में ये दलील दी थी कि यह सदियों पुरानी परंपरा है, इसलिए इसे 'असंवैधानिक' नहीं कहना चाहिए. सिब्बल की इस दलील के बाद उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था.
कोर्ट में तीन तलाक पर चल रही बहस में बुधवार को केंद्र ने अपनी दलीलों को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा. केंद्र ने कहा कि एक समय में हिंदू समाज में सती प्रथा थी जो समय के साथ खत्म हो गई. इस पर कोर्ट ने पूछा कि ऐसा अदालत के जरिए कब हुआ?
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह मामला बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का नहीं है. यह एक धर्म के भीतर महिलाओं के अधिकार की लड़ाई है. इस मामले में विधेयक लाने के लिए केंद्र को जो करना होगा वो करेगा.
ट्रिपल तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं की ओर से 7 याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें अलग से दायर की गई 5 रिट पिटीशन भी हैं. इनमें दावा किया गया है कि तीन तलाक असंवैधानिक है.
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था, ‘‘ऐसे भी संगठन हैं, जो कहते हैं कि तीन तलाक वैध है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है और यह अनवांटेड है.''
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