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सुप्रीम कोर्ट में आज अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) पर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इस एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अपने फैसले में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट के तहत बिना किसी जांच के गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच के इस फैसले पर असहमति जताते हुए इसे बड़ी बेंच में भेजने की मांग की थी. इसके लिए पुनर्विचार याचिका दायर की गई, जिसके बाद मामले को तीन जजों की बेंच के लिए रेफर कर दिया गया. जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच मामले की सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने एस-एसटी एक्ट मामले में जो बिना जांच के तुरंत गिरफ्तारी न करने का फैसला सुनाया था, उसे केंद्र सरकार ने 9 अगस्त 2018 को लोकसभा में SC-ST संशोधन विधेयक पारित कर पलट दिया था. संशोधित एक्ट के मुताबिक, इस कानून के तहत किसी मामले को दर्ज करने और गिरफ्तारी के लिए प्राथमिक जांच की जरूरत नहीं होगी.
लोकसभा में केंद्रीय न्याय और आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा था, "सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ वहां समीक्षा याचिका दाखिल की थी. उस आदेश में SC-ST एक्ट, 1989 के वास्तविक प्रावधानों को कमजोर बनाया गया था."
अनुसूचित जातियों, जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) 1989 में बनाया गया था. जिसके बाद पूरे देश में इस एक्ट को लागू कर दिया गया. इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के कई प्रावधान किए गए. इन पर होने वाले अपराधों की सुनवाई के लिए खास व्यवस्था की गई, ताकि वो अपनी बात खुलकर रख सकें.
एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर में काफी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. दलित समुदाय ने कई तरह के बंद और प्रदर्शन किए. जिसके बाद सरकार ने इस फैसले को बदलने का फैसला लिया. लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद सवर्णों ने आंदोलन शुरू कर दिया. सर्वण जातियों के कई संगठनों ने भारत बंद का ऐलान कर दिया गया.
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