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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है.
एक नजर डालिए उन मामलों पर, जिसमें लालू प्रसाद बुरी तरह घिर चुके हैं. उनके परिवार के खिलाफ सिर्फ आरोप ही नहीं लगे, बल्कि कार्रवाई तेज हो चुकी है.
2004-06 तक लालू यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे. इस दौरान रेलवे होटल टेंडर में गड़बड़ी का आरोप उन पर लगा है. उन पर 420 और 120-बी के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
लालू प्रसाद पर आरोप है कि रेलमंत्री रहते उन्होंने रांची और पुरी स्थित रेलवे के दो होटलों का टेंडर एक निजी कंपनी को दे दिया था. होटलों का टेंडर दिए जाने के एवज में लालू के करीबी प्रेमचंद गुप्ता की कंपनी को दो एकड़ जमीन मिली और बाद में ये कंपनी लालू परिवार को ट्रांसफर हो गए.
केस में लालू यादव, तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता का भी नाम है. सीबीआई की टीम पटना, रांची, भुवनेश्वर, गुरुग्राम और पुरी के 12 ठिकानों पर मामले की जांच कर रही है.
रेलवे टेंडर घोटाले के तार माॅल-मिट्टी घोटाले से जुड़े हैं. अप्रैल में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि पटना में जो 750 करोड़ रुपये का मॉल बन रहा है, उसकी जमीन पर मालिकाना हक लालू की फैमिली का है. इसकी कीमत 200 करोड़ रुपये है.
लालू के बेटे और नीतीश सरकार में मंत्री तेज प्रताप यादव पर इस अंडर कंस्ट्रक्शन मॉल से निकली मिट्टी 90 लाख रुपये में वन विभाग को बेचने का आरोप भी लगाया गया था.
सुशील मोदी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि-
इस जमीन का मालिकाना हक लारा के पास है, जिसके डायेक्टर राबड़ी देवी, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव हैं. नीतीश सरकार ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं.
एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति के मामले में मई में आयकर विभाग ने लालू प्रसाद और उनके परिवार से जुड़े एक भूमि सौदे में शामिल लोगों और कारोबारियों के यहां 22 ठिकानों पर छापेमारी की थी. आयकर विभाग ने दिल्ली, गुड़गांव के इलाकों में छापेमारी की थी.
जमीन के सौदों में धांधली के आरोप में लालू यादव के साथ उनके करीबी सांसद प्रेमचंद गुप्ता के बेटों के ठिकाने पर भी छापेमारी हुई थी.
चारा घोटाला बिहार का सबसे चर्चित घोटाला था, जिसमें जानवरों को खिलाये जाने वाले चारे और पशुपालन से जुड़ी चीजों की खरीदारी के नाम पर करीब 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए.
बिहार पुलिस ने 1994 में गुमला, रांची, पटना, डोरंडा और लोहरदगा जैसे कई कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिये करोड़ों रुपये की कथित अवैध निकासी के मामले दर्ज किए थे. सरकारी कोषागार और पशुपालन विभाग के सैकड़ों कर्मचारी गिरफ्तार कर लिए गए.
सरकारी खजाने की इस चोरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद पर आरोप लगा. इस घोटाले के कारण उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. मामले में फंसे लालू यादव को इस सिलसिले में जेल तक जाना पड़ा, उनके खिलाफ सीबीआई और आयकर की जांच हुई, छापे पड़े और अब भी वे कई मुकदमों का सामना कर रहे हैं.
इस साल मई में झारखंड हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा-201 (अपराध के साक्ष्य मिटाना और गलत सूचना देना ) और धारा-511 (ऐसा अपराध करने की कोशिश करना, जिसमें आजीवन कारावास या कारावास की सजा सकती है ) के तहत लालू प्रसाद के खिलाफ मामले की सुनवाई चलती रहेगी.
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