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स्वीडन की बस/ट्रक बनाने वाली ऑटो कंपनी स्केनिया को लेकर स्वीडिश न्यूज चैनल सहित तीन मीडिया संस्थानों ने 10 मार्च को बड़ा खुलासा किया. आरोप लगे कि ऑटोमेकर स्केनिया ने 2013 से 2016 के बीच भारत के 7 अलग-अलग राज्यों में बसों के कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के लिए रिश्वत दी थी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मोदी सरकार में सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और उनके बेटे को डील से फायदा मिलने के आरोप लगे. इसके बाद नितिन गडकरी ने इसे लेकर फिर सफाई दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक स्केनिया के प्रवक्ता ने कहा है कि 'कंपनी ने स्केनिया मोटरलिंक बस बेंगलुरु के एक डीलर ट्रांसप्रो मोटर्स को दी. उन्होंने ये बस सुदर्शन हॉस्पिटेलिटी नाम की कंपनी को बेची. ये एक भारतीय बस ऑपरेटर कंपनी थी. इसका दफ्तर नागपुर में है.'
प्रवक्ता ने कहा कि 'जिस बस की चर्चा चल रही है उसे स्केनिया इंडिया से एक प्राइवेट डीलर ने 2016 में खरीदी. फिर डीलर ने अपने एक कस्टमर को ये बस बेच दी. हमें अभी नहीं पता है कि बस का क्या स्टेटस है.'
इसके पहले भी केंद्रीय मंत्री गडकरी के दफ्तर की तरफ से जारी की गई सफाई में कहा गया था कि 'ये पूरी तरह से आधारहीन आरोप हैं. कहा जा रहा है कि बस के लिए पेमेंट नहीं किया गया था और गडकरी की बेटी की शादी के लिए इसे इस्तेमाल किया गया. ये पूरी तरह से मीडिया की कल्पना है.'
गडकरी की सफाई में कहा गया कि 'ये पूरा मामला स्केनिया कंपनी का आंतरिक मामला है. मीडिया को अभी स्केनिया इंडिया के बयान का इंतजार करना चाहिए, जिसने पूरे मामले को हैंडल किया था. गडकरी और उनके परिवार के लोगों का बस की खरीद/बिक्री से कोई लेना देना नहीं है.'
सफाई में इस बात पर जोर दिया गया कि 'ये पूरी तरह से एक कमर्शियल डील थी जो नागपुर के नगर निगम और स्वीडिश ऑटो कंपनी के बीच हुई थी. गडकरी ने नागपुर नगर निगम को स्वीडिश कंपनी के साथ करार करने के लिए प्रोत्साहन दिया था.'
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