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केंद्र शासित प्रदेश बनने के लगभग चार महीने बाद विदेशी प्रतिनिधियों का दूसरा बैच एक बार फिर जम्मू-कश्मीर जाएगा. इससे पहले भी एक बैच प्रदेश के हालात का जायजा लेने वहां जा चुका है. केंद्र सरकार ने 10 जनवरी को बताया है कि दूसरा बैच इसी हफ्ते जम्मू-कश्मीर जाएगा.
इस साल जनवरी में ही 15 विदेशी प्रतिनिधियों का एक समूह जम्मू-कश्मीर गया था. ये प्रतिनिधि अमेरिका, साउथ कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, फिजी, मालदीव, नॉर्वे, फिलीपीन, मोरक्को, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, गुयाना और टोगो से थे.
विदेश मंत्रालय ने बताया था कि प्रतिनिधियों को जम्मू-कश्मीर में 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने सुरक्षा व्यवस्था पर ब्रीफ किया था. इसके बाद प्रतिनिधियों ने अपने होटल में कई बैठकें की थीं.
सूत्रों के मुताबिक, आर्मी ने ब्रीफिंग के दौरान सीमा पार से आतंकवाद पर प्रतिनिधियों का ध्यान खींचा था और घुसपैठ की भी कई वीडियो दिखाई थी. इसके अलावा विदेशी प्रतिनिधियों ने राजनेताओं के साथ बैठकों के दौरान आर्टिकल 370, आर्टिकल 35A और नेताओं की हिरासत पर बातचीत की थी.
प्रतिनिधियों से मुलाकात करने वाले नेताओं में पूर्व पीडीपी नेता अल्ताफ बुखारी, पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता रफी अहमद मेरे और पूर्व पीडीपी विधायक दिलावर मीर, नूर मोहम्मद शेख और अब्दुल रहीम राठेर शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगा दिया गया है. उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की हिरासत के 6 महीने खत्म होने के चंद घाटे पहले ही उन पर PSA लगा दिया गया. अब्दुल्ला-मुफ्ती को पिछले साल 5 अगस्त से ऐहतियातन तौर पर हिरासत में लिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने एक डॉजियर में उमर और महबूबा पर PSA लगाए जाने का कारण बताया है. पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर अब्दुल्ला अपनी कट्टर विचारधारा को छिपाने के लिए राजनीति का इस्तेमाल कर रहे थे और केंद्र सरकार के खिलाफ गतिविधियों की योजना बना रहे थे. महबूबा मुफ्ती पर राष्ट्र विरोधी बयान देने का आरोप लगा है.
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