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Sedition law पर Supreme Court के फैसले से किसे फायदा नहीं होगा, ये समझिए

राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट की मुख्य 7 बातें.

मेखला सरन
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Sedition law पर Supreme Court के फैसले से किसे फायदा नहीं होगा</p></div>
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Sedition law पर Supreme Court के फैसले से किसे फायदा नहीं होगा

(फोटो: IANS)

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देशद्रोह कानून (Sedition law) पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिव्यू होने तक सरकारें इस कानून का इस्तेमाल करने से बचें. साथ ही देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायाधीश सूर्यकांत और हिमा कोहली की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि देशद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए. राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने वह कौन सी मुख्य रूप से 7 बातें कहीं आइए एक-एक कर जानते हैं.

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राजद्रोह के तहत तय किए गए आरोपों के संबंध में सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए.

देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार होने तक इस प्रावधान का इस्तेमाल करना उचित नहीं होगा.

इस धारा के तहत मामला दर्ज होने के बाद पहले से ही जेल में बंद लोग जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

भारतीय संघ कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए राज्यों को निर्देश पारित करने के लिए स्वतंत्र है.

अगर कोई नया मामला दायर किया जाता है, तो संबंधित पक्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं और उसे जल्द निपटाने की गुजारिश कर सकते हैं.

SC ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी प्राथमिकी दर्ज करने, जांच जारी रखने या IPC की धारा 124A के तहत जबरन कार्रवाई करने से परहेज करेंगी, जब तक यह पुनर्विचार के अधीन है.

IPC की धारा 124A की कठोरता, वर्तमान सामाजिक परिवेश के मुताबिक नहीं है और इसका उद्देश्य तब था, जब देश औपनिवेशिक शासन के अधीन था.

सप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भले ही बहुत से पत्रकारों, लेखकों और छात्रों को राहत जरूर मिलेगी. लेकिन, ऐसे भी लोग हैं, जिनको इस फैसले से कुछ खास मदद नहीं मिलने वाली है. जैसे भीमा कोरेगांव में गिरफ्तार एक्टिविस्ट, दिल्ली हिंसा मामले में जो आरोपी हैं उनको. क्योंकि, राजद्रोह के साथ-साथ UAPA लगने पर ये फैसला लागू नहीं होता. ये फैसला सिर्फ राजद्रोह मामले पर ही लागू होता है.

कई वकीलों ने इस बात पर चिंता जताई है कि राजद्रोह कानून पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई गई है. अभी मामलें 124A के तहत रजिस्टर हो सकते हैं. ऐसे में वकीलों का कहना है कि आरोपियों को इस केस पर स्टे लगाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं.

क्या है राजद्रोह कानून?

भारतीय दंड संहिता की धारा 124A में राजद्रोह को परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार, अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ IPC की धारा 124A में राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है. इसके अलावा अगर कोई शख्स देश विरोधी संगठन के खिलाफ अनजाने में भी संबंध रखता है या किसी भी प्रकार से सहयोग करता है तो वह भी राजद्रोह के दायरे में आता है.

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Published: 11 May 2022,11:14 PM IST

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