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कोरोनावायरस को लेकर देशभर में जरूरी एहतिहात बरती जा रही है. स्कूल-कॉलेज से लेकर सिनेमा हॉल और मॉल बंद किए जा रहे हैं. इसी के तहत दिल्ली में भी सीएम अरविंद केजरीवाल ने 50 से ज्यादा लोगों को एक साथ जमा नहीं होने के निर्देश दिए थे. लेकिन शाहीन बाग में चल रहे नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वो नहीं हटेंगे. अब दिल्ली पुलिस ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि 31 मार्च तक दिल्ली में किसी भी तरह के धरना प्रदर्शन की इजाजत नहीं है.
किसी भी धरना प्रदर्शन और सोशल गैदरिंग को लेकर दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने कहा,
इससे पहले दिल्ली बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने भी शाहीन बाग को लेकर एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आत्मघाती आतंकी की तरह व्यवहार कर रहे हैं. मिश्रा ने कहा, "पहले ट्रैफिक को रोका, हमें स्कूल और ऑफिस जाने से भी रोका और अब शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आत्मघाती मिशन पर निकले आतंकवादियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं."
एक्टर से नेता बने कमल हासन ने भी एंटी सीएए प्रदर्शनों को लेकर बयान दिया. उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे एक समुदाय के सदस्यों से अपने विरोध प्रदर्शन को रोकने और देश में कोरोनावायरस के प्रकोप से खुद को बचाने की अपील की. कमल हासन ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि उनका स्वास्थ्य उनके अधिकारों जितना ही जरूरी है. उन्होंने कहा,
तमाम अपीलों और निर्देशों के बाद भी शाहीन बाग शाहीनबाग में मंगलवार को करीब 500 से अधिक महिलाएं धरनास्थल पर एक दूसरे से सटकर बैठी हुई नजर आईं. इन महिलाओं का कहना है कि उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है. खास बात यह रही कि प्रदर्शन स्थल पर न तो महिलाओं के लिए हाथ धोने की कोई व्यवस्था है न ही इस दौरान किसी ने अपना मुंह ढका है . यहां कोरोनावायरस से बचने का कोई और इंतजाम यहां किया गया है.
प्रदर्शन में मौजूद सोफिया ने कहा, "हमें कोरोनावायरस और सीएए एवं एनआरसी दोनों से ही लड़ना है. इस लड़ाई में हमारे लिए कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक एनआरसी और सीएए है. इसलिए सीएए के खिलाफ हमारी यह लड़ाई लड़ाई जारी रहेगी. बीमार होने के डर से हम अपने आंदोलन को छोड़कर घर नहीं बैठ सकते."
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