advertisement
शरद यादव इन दिनों खुश हैं. उन्हें यकीन है कि 2019 में मोदी सरकार की विदाई तय है. पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव को लगता है कि विपक्ष को एकजुट होने में भले थोड़ा वक्त लगे, पर जनता तो मोदी सरकार को हटाने के लिए एकजुट हो गई है.
क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से खास बातचीत में शरद यादव खुलकर बोले और दो टूक बोले.
पिछले कुछ महीने शरद यादव के लिए काफी उथल-पुथल भरे रहे हैं. उन्हें जेडीयू से निकाला गया और राज्यसभा सीट भी गंवानी पड़ी.
शरद यादव ने बातचीत में विपक्षी एकता के फॉर्मूले पर भी चर्चा की. उन्होंने माना कि एकता के रास्ते में बहुत अंतर्विरोध और पेचीदगी है, सभी पार्टियों के अपने हित हैं और प्रभाव वाले क्षेत्र हैं. लेकिन हालात ही एकता बनाने को मजबूर कर रहे हैं.
ये पूछे जाने पर कि फूलपुर, गोरखपुर में जीत ने विपक्ष का भरोसा कितना बढ़ाया है, शरद यादव ने कहा कि विपक्ष को साथ लाने के लिए बड़ी तेजी से काम हो रहा है. इसकी वजह है कि देश के हालात बहुत खराब हैं. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों ने खतरे को समझा है, 'साझा विरासत सम्मेलन' में 21 पार्टियां शामिल थीं.
जनता पार्टी के दिनों को याद करते हुए शरद यादव ने बताया कि जयप्रकाश नारायण ने इमरजेंसी के बाद चुनाव का ऐलान होते ही साफ कह दिया था कि सबको एक होना होगा, और अगर एकजुट नहीं होते, तो मुझे छोड़ दीजिए.
उन्होंने कहा कि 1977 में पार्टियां कम थीं, इसलिए 3-4 दिन में सब एक हो गए, लेकिन आज पार्टियों की तादाद बहुत ज्यादा है.
क्या मायवती और अखिलेश यादव साथ आएंगे? इसके जवाब में शरद यादव ने कहा कि देश की जनता का संदेश साफ है, विपक्ष को साथ आना होगा. खास तौर पर गोरखपुर, फूलपुर, अररिया, अलवर और अजमेर में बीजेपी की सीटें गंवाने का मतलब है हिंदी बेल्ट से संदेश साफ है. जनता ने गोलबंदी कर बता दिया है कि एक हो जाएं.
शरद यादव ने कहा कि साथ आना चुनौती तो है, लेकिन सभी पार्टियों के बीच विचार समान है और ऐसे में सभी तरह के रास्ते निकल आते हैं.
शरद यादव ने कहा कि इस तरह की कुछ खबरें जरूर आई हैं, पर ममता संघर्ष से निकली नेता हैं. उन्होंने कहा कि जैसी चिंता हमें है, वैसी ही ममता बनर्जी को भी है. यकीन है कि तीसरे मोर्चे की बात सही नहीं निकलेगी
शरद यादव ने जवाब दिया कि अखबारों ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है. ममता बनर्जी भी एकजुटता चाहती हैं. टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू से भी चर्चा हुई है . चंद्रबाबू नायडू वैसे विपक्ष के करीब रहे हैं.
शरद यादव ने कहा कि सभी पार्टियों में अंतर्विरोध है, लेकिन आखिर में रास्ता जरूर निकल आएगा. उन्होंने कहा कि हालात विकट हैं, क्योंकि देश का मीडिया सरकार के साथ खड़ा हो गया है और उनसे सवाल पूछता है.
शरद यादव ने माना कि विपक्ष की एकता के रास्ते में अड़चने जरूर हैं. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस कंपिटीटर हैं, बंगाल में लेफ्ट, कांग्रेस और ममता के बीच संघर्ष है. पर रास्ता निकल आएगा.
शरद यादव का मानना है कि पहले की कांग्रेस और अभी की बीजेपी के बीच बहुत फर्क है. उन्होंने कहा कि बीजेपी संगठित है, गिरोह है. लेकिन विपक्ष की एकता के सामने बीजेपी को मुश्किलें हैं. 2014 में बीजेपी को 31% वोट मिले थे, जबकि विपक्ष को मिले 69% वोट. इनमें 15% वोट ही अल्पसंख्यकों के हैं, मतलब दो-तिहाई हिंदू वोटर भी पिछले चुनावों में उनके खिलाफ थे.
शरद यादव ने कहा कि चुनाव के पहले विपक्ष की एकता पटरी पर आ जाएगी और चुनाव में मोदी सरकार की छुट्टी हो जाएगी.
[क्विंट ने अपने कैफिटेरिया से प्लास्टिक प्लेट और चम्मच को पहले ही 'गुडबाय' कह दिया है. अपनी धरती की खातिर, 24 मार्च को 'अर्थ आवर' पर आप कौन-सा कदम उठाने जा रहे हैं? #GiveUp हैशटैग के साथ @TheQuint को टैग करते हुए अपनी बात हमें बताएं.]
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)